लोक सेवा परीक्षा 2021: जानिए एसडीओ – एसडीएम की ताकत, आप भी बन सकते है अधिकारी
किसी भी जिले में सबसे ज्यादा ताकतवर होता है उस जिले का जिला अधिकारी या यू कहे की डीएम। एक डीएम को जितनी पॉवर होती है उतनी किसी और की नहीं होती। हमें जब भी कोई समस्या होती है तो हम डीएम का रुख करते है । उसी प्रकार यदि किसी ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्ति को कोई दिक्कत होती है तो वह अपनी परेशानी उप जिला स्तर के अधिकारी को बताते है। जहां उनकी समस्या को उप खंड अधिकारी (एसडीओ) और उप खंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) आदि सुनते हैं।
आइए आज हम जानते हैं एसडीओ और एसडीएम की ताकत के बारे में....एसडीओ और एसडीएम की ताकत
आज के महामारी के इस दौर में भी एसडीएम और एसडीओ के बारे में हमें कहीं ना कहीं अखबारों या टीवी चैनलों में पढ़ने को मिल ही जाता है। इस महामारी के समय के किसी भी क्षेत्र में किस प्रकार से वहां पर कार्य होगा? इसकी जिम्मेदारी क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों पर होती है। इस जिम्मेदारी को संभालते है उस क्षेत्र के एसडीओ और एसडीएम। जिला स्तर पर इसकी जिम्मेदारी होती है कलेक्टर और जिला अधिकारी के हाथ में।
किसी भी जिले में सबसे ज्यादा प्रशासनिक ताकत डीएम के पास होती है। इसके बाद सबसे ज्यादा ताकत उप खंड अधिकारी(एसडीएम) के पास होती है।
एसडीएम एक आईएएस अधिकारी नहीं होता है, मगर प्रमोशन के बाद वह जिलाधिकारी या राज्य सरकार का सचिव बन सकता है।
एसडीएम का पद 12वीं और स्नातक के बाद राज्य स्तरीय लोक सेवा परीक्षा में भाग लेकर मिलता है।
किसी भी जिले में राज्य सरकार द्वारा जिले के उप खंडों का गठन किया जाता है। जिले में जैसे जिलाधिकारी वहां का न्यायाधिकारी होता है। उसी प्रकार उप खंड में एसडीएम का यह काम होता है।
कई राज्यों में एसडीएम एसडीओ दोनों का पद अलग होता है, तो कही एसडीएम को ही उस खंड के दोनो पदों की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।
एसडीओ और एसडीएम अपराधिक प्रक्रिया सहिता 1973 के तहत विभिन्न मजिस्ट्रेट कर्तव्यों का पालन करते है। किसी भी एसडीएम का अपने उपखंड के तहसीलदारों पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
उसको अपने जिलाधिकारी और तहसीलदारों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी का प्रतिनिधित्व करना होता है।
एसडीएम और एसडीओ बनने के लिए राज्य की लोक सेवा परीक्षा को पास करना पढ़ता है, जैसे उत्तर प्रदेश में UPPSC, बिहार में BPSC, राजस्थान में RPSC आदि परीक्षाएं आयोजित कराई जाती है।
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