Gulbadan Bano Begum ने इसलिए लिखा हुमायूंनामा, जानें एक शहजादी कैसे बनी मुगल सल्तनत की पहली इतिहासकार
Gulbadan Bano Begum: इतिहास में मुगलों के बारे में काफी कुछ लिखा गया है, लेकिन औरतों का जिक्र कम ही किया गया है. ऐसा ही एक नाम है गुलबदन बानो बेगम का. बाबर की बेटी गुलबदन संभवत: इतिहास की पहली महिला इतिहासकार रही हैं. बता दें कि गुलबदन का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में 1523 में हुआ था.
आपको बता दें कि मुगलों की तरह गुलबदन को फारसी और तुर्की की अच्छी जानकारी थी. गुलबदन कविताएं लिखने और किताबें पढ़ने की शौकीन रही हैं. इतिहासकारों के मुताबिक, अकबर ने ही उनसे पिता हुमायूं की जीवनी लिखने की गुजारिश की थी.
Gulbadan Bano Begum ने लिखी हुमायूं की जीवनी
गुलबदन अकबर को बचपन में कहानियां सुनाया करती थीं. उसे उनके कहानी कहने का अंदाज पसंद था. अकबर ने पिता की जीवनी लिखने का काम उन्हें ही सौंपा. इसकी दो वजह थीं. पहली, उनकी कहानी सुनाने की शैली काफी दिलचस्प थी और दूसरी वो अपने पिता के जीवन की हर बात को गहराई से जानना चाहते थे.बता दें कि गुलबदन ने बुढ़ापे तक हुमायूंनामा लिखा. बादशाह की जीवनी 16वीं सदी का एकमात्र ऐसा दस्तावेज था को शाही परिवार की किसी महिला ने लिखा था.
गुलबदन ने हुमायूंनामा में खोले मुगलों के राज
हुमायूंनामा में मुगल शहजादी ने मुगलों के कई राज खोले हैे. गुलबदन ने हुमायूं की जीवनी को बादशाह की वीरगाथा का दस्तावेज नहीं बनने दिया. उन्होंने बादशाह के शासन के अलावा जनानखाने यानी हरम के बारे में भी कई दिलचस्प बातें लिखीं. उस दौर में जनानखाने में महिलाओं के बीच कैसे रिश्ते थे, उनका काम क्या था और उनकी पसंद-नापसंद कैसी थी, इसका जिक्र भी जीवनी में किया.
पिता बाबर के बारे में बताते हुए लिखा, जब 22 साल उम्र में हुमायूं बीमार पड़े थे तो बाबर किस तरह उनको लेकर परेशान रहे थे. उनके बिस्तर के आगे-पीछे घूमते रहते थे, लेकिन जब हुमायूं ठीक हुए तो बाबर चल बसे.
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