टाटा कंपनी कैसे करती है काम? जानें Tata Group, Tata Sons और Tata Trust में क्या है अंतर
Ratan Tata के निधन के बाद उनकी वसीयत से जुड़े अपडेट्स ने टाटा ग्रुप की संरचना और ट्रस्ट्स की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है। टाटा कंपनी के काम करने के तरीके और टाटा ट्रस्ट्स की अहमियत को लेकर अक्सर लोगों में सवाल होते हैं। यहां हम समझते हैं कि टाटा ग्रुप का संचालन कैसे होता है और विभिन्न घटकों में क्या अंतर है।
टाटा ग्रुप, टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स का परिचय
Tata Group का मुख्य संचालन Tata Sons द्वारा किया जाता है, जो टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। Tata Trusts का स्वामित्व Tata Sons में है, और इसका मुख्य उद्देश्य परोपकारी कार्यों को प्रोत्साहन देना है। Tata Sons के अधिकांश शेयर टाटा ट्रस्ट्स के पास होते हैं, जिससे Tata Trusts को पूरे समूह में अत्यधिक नियंत्रण मिलता है।
टाटा ट्रस्ट्स की भूमिका
टाटा ट्रस्ट्स का गठन जमशेदजी टाटा के दो बेटों, सर रतन टाटा और सर दोराबजी टाटा द्वारा किया गया। उनके संपत्ति को सँभालने और समाज कल्याण के कार्यों में लगाने के उद्देश्य से सर रतन टाटा ट्रस्ट (1919) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (1932) की स्थापना की गई। ये दोनों ट्रस्ट्स टाटा ग्रुप के सामाजिक कार्यों और परोपकारी गतिविधियों का संचालन करते हैं।
टाटा ग्रुप का मालिक कौन है?
Tata Group का प्रत्यक्ष मालिक कोई एक व्यक्ति नहीं है। इसकी अधिकांश हिस्सेदारी Tata Trusts के पास होने के कारण, समूह पर टाटा ट्रस्ट्स का महत्वपूर्ण नियंत्रण होता है। नोएल नवल टाटा को अब Tata Trusts का चेयरमैन बनाया गया है, जो समूह के संचालन पर अंतिम नियंत्रण रखते हैं।
टाटा कंपनी का कार्यक्षेत्र और संचालन
Tata Group का व्यवसाय एयरलाइंस, कार निर्माण, होटल, सॉफ्टवेयर, और रिटेल जैसे कई सेक्टर्स में फैला हुआ है। Tata Sons ग्रुप की कंपनियों का निर्देशन और रणनीति बनाता है, जबकि Tata Trusts के पास समूह के परोपकारी कार्यों का मुख्य प्रभार है।