Kuno National Park: आखिर क्यों हो रही है यहां चीतों की मौत?, जानें अब कितने बचे हैं हमारे मेहमान
Kuno Cheetah Death: देश के सबसे अधिक बाघ और तेंदुए जिस मध्यप्रदेश की धरती पर छलांग मारते हैं, उसी सूबे के जंगल मेहमान चीतों का मरघट बनते जा रहे हैं। दूर देश से इन मेहमानों को लाने, बसाने और खुले अरण्य में उतारने में लगी मेहनत के विंबोरे पिटते जो थक नहीं रहे थे, अब एकदम से मौन कर बैठ गए हैं। उनके तमाम दावे ढाक के तीन पात कैसे साबित हो रहे हैं, इस पर विभाग अफसर, मंत्री और उनसे भी ऊपर बैठे जिम्मेदार कुछ समझाने, बताने की स्थिति में आखिर क्यों नहीं हैं? सवाल यहीं कि आखिर क्यों हो रही है चीतों की मौत ? 27 मार्च को मौत की पहली सूचना आई तो वन महकमे के अफसरों ने कहा, 'एक आध मौत होना कोई बड़ी बात नहीं।'
लोग चीतों की मौतों पर चिंतित
खुद को बचाने के लिए तर्क जड़ दिया कि अफ्रीका में तो इनके जीवित रहने की दर बहुत कम है, यहां तो फिर भी अच्छा ही चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट, पर्यावरणविद् और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोग मेहमान चीतों की मौतों पर चिंतित हैं। आठवें और नौवें चीते की मौतों में स्पष्ट हो चुका कि उनके गले में बंधा रेडियो कॉलर ही मौत का फंदा बना।
कूनो के जंगल में 14 चीते मौजूद हैं
अच्छी बात यह है कि अब भी संभलने का वक्त है। कूनो के जंगल में 14 चीते मौजूद हैं। इनमें 7 नर, 6 मादा और एक शावक है। उनका स्वास्थ्य परीक्षण कूनो के वन्यप्राणी चिकित्सक टीम एवं नामीबियाई विशेषज्ञ कर रहे हैं।संख्या के हिसाब से यह संतोषजनक है, मगर अब हर मौत चीता परियोजना की उल्टी गिनतीं ही रहेगी। जरूरत चीता कार्यबल को कसौटी पर कसने की है।
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