SIM कार्ड हो या रेलवे टिकट, Aadhaar ऑथेंटिकेशन बना ज़रूरी—जानें इसकी वजह और तरीका

भारत में ज़्यादातर लोगों को यूनिक आधार नंबर जारी किया जा चुका है, जिससे उनकी पहचान डिजिटल रूप से सत्यापित की जा सकती है। यही वजह है कि अब कई सरकारी विभाग, बैंक और टेलिकॉम कंपनियां आधार ऑथेंटिकेशन के ज़रिए अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
अब IRCTC ने भी अपने प्लेटफॉर्म पर तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आधार नंबर से वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है, जो 1 जुलाई 2025 से लागू होगा।
क्या होता है आधार ऑथेंटिकेशन?
आधार ऑथेंटिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आपके आधार नंबर से जुड़े डेमोग्राफिक (नाम, जन्म तिथि आदि) या बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन) डाटा को UIDAI के केंद्रीय डेटा रिपॉजिटरी (CIDR) से मिलान किया जाता है। इस मिलान के बाद आपकी पहचान की पुष्टि हो जाती है।
यह प्रक्रिया एक सर्विस प्रोवाइडर या ऑथेंटिकेशन एजेंसी द्वारा शुरू की जाती है, जो UIDAI को वेरिफिकेशन रिक्वेस्ट भेजती है। UIDAI इस रिक्वेस्ट को प्रोसेस कर बायोमेट्रिक या डेमोग्राफिक डेटा से मिलान करता है और फिर पहचान की पुष्टि करता है।
कौन-कौन से हैं ऑथेंटिकेशन के तरीके?
आधार ऑथेंटिकेशन तीन प्रमुख तरीकों से किया जा सकता है:
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बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन: फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन के माध्यम से।
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OTP आधारित ऑथेंटिकेशन: रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजे गए OTP के ज़रिए।
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फेस ऑथेंटिकेशन: कैमरा के माध्यम से यूजर के चेहरे की पुष्टि।
ये सभी तरीके व्यक्ति की पहचान को फर्जीवाड़े से बचाते हैं और सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता को बढ़ाते हैं।