Adi Shankaracharya Statue:इस राज्य में शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का हो रहा निर्माण,'एकात्म धाम' बना भक्ति का केन्द्र

Adi Shankaracharya Statue: मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में इन दिनों आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है. मध्यप्रदेश सरकार के विजन के मुताबिक यहां एक भव्य और दिव्य ‘एकात्म धाम’ तैयार किया जा रहा है। इसे दुनिया के अद्वैत वेदांत के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है। आदि शंकराचार्य की ज्ञानभूमि ओंकारेश्वर में माँ नर्मदा के तट पर स्थापित हो रही 'एकात्मता की मूर्ति' वेदों में निहित सर्वकालिक ज्ञान व चराचर जगत के अस्तित्व की एकसूत्रता का बोध कराएगी। प्रतिमास्थल पर आचार्य शंकर द्वारा लिखे भाष्यग्रन्थों का 108 घंटे का विधिवत पाठ चल रहा है। जिसमें देशभर से जुटे सन्यासियों के समवेत पाठ से ओंकारेश्वर गुंजित हैं। 18 सितंबर को 108 फीट ऊँची एकात्मता की मूर्ति ‘’स्टैच्यू आफ वननेस’’ के अनावरण समारोह के साक्षी बनने के लिये देश भर के सन्यासी साधु संत और विद्वतजन बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। ओंकारेश्वर में समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
'एकात्म धाम' बना भक्ति का केन्द्र
— Jansampark MP (@JansamparkMP) September 13, 2023
आदि शंकराचार्य की ज्ञानभूमि ओंकारेश्वर में मां नर्मदा के तट पर स्थापित हो रही एकात्मता की मूर्ति
18 सितंबर को होगा 108 फीट ऊंची भव्य एकात्मता की मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का अनावरण
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देशभर के विभिन्न मठों से जुटे 32 सन्यासी कर रहे पाठ
ओंकारेश्वर में आचार्य शंकरवाणी के विधिवत पाठ का आज तीसरा दिन है। यहां देशभर के विभिन्न मठों से जुटे 32 सन्यासी प्रतिमास्थल पर आचार्य शंकर लिखित भाष्यों का पाठ कर रहे हैं ।आदि शंकरचार्य ने वेदान्त (उपनिषद) भगवदगीता और ब्रहमसूत्र जिन्हें प्रस्थानत्रयी कहते है, पर भाष्य लिखे हैं। इन्ही भाष्यों के श्लोकों का 108 घंटे का पाठ जारी है। पाठ प्रतिदिन 12 घंटे चलता है। 32 वैदिक विद्वानों के दल का नेतृत्व आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी तथा आदि शंकर ब्रह्म विद्यापीठ, उत्तरकाशी के आचार्य स्वामी हरिब्रह्मेंद्रानंद तीर्थ कर रहे हैं।
बाल रूप में शंकराचार्य
ओंकारेश्वर धाम सनातन धर्म के आचार्य शंकर की ज्ञान और गुरु की भूमि है। पौराणिक स्रोतों के मुताबिक यहीं पर अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद के पास रहकर उन्होंने शिक्षा हासिल की थी. तब उनकी उम्र 12 साल थी. यहां वो 4 साल रहे। यही वजह है कि यहां 108 फीट की जो प्रतिमा बनाई जा रही है, वह आचार्य शंकर के बालक रूप की है।