इतिहास में आख़िर क्या है राजपूतानी आन-बान-शान का सच?
'चिंता को तलवार की नोक पे रखे, वो राजपूत…रेत की नाव लेकर समुंदर से शर्त लगाए, वो राजपूत, और जिसका सर कटे फिर भी धड़ दुश्मन से लड़ता रहे, वो राजपूत'
फिल्म पद्मावती का यह डायलॉग पूरी राजपूत कॉम की कहानी कह रही है। लेकिन क्या सचमुच इस डायलॉग के इर्द-गिर्द ही राजपूत की कहानी है?
धारणा है कि राजपूत कभी युद्ध नहीं हारते हैं। वो पीठ नहीं दिखाते हैं। या तो युद्ध जीतकर आते हैं या जान देकर। ऐसे कई प्रसंग हैं जिनसे ये धारणा मिथक बन जाती हैं।
राजपूत युद्ध जीतकर लौटते थे या वीरगति प्राप्त करते थे ये हमेशा सच नहीं है। लेकिन इतिहास में कई ऐसे दर्दनाक उदाहरण हैं। जिसने राजपूत कॉम को नायक बना दिया।
बाबर का कहना था कि राजपूत मरना जानते हैं पर जीतना नहीं जानते। ऐसे कई राजा और अंग्रेज हुए जिसने राजपूत कॉम पर या कहें कि उसकी बहादुरी पर अलग-अलग टिप्पणी दी है।
मुगलों ने भारत पर शासन जरूर किया लेकिन हर मुगल शासक के राज दरबार में राजपूतों की अच्छी भीड़ लगी रहती थी। अकबर और औरंगज़ेब के शीर्ष कोटि के योद्धाओ में महाराजा जय सिंह और जसवंत सिंह शामिल थे।
वैसे भी भारतीय संस्कृति और इतिहास के झरोखे से एक बात सच है देश में जयचंद्र और विभीषण हर कॉम और भीड़ में शामिल है।