आखिर क्यों 300 किलोमीटर पैदल चल पड़े हैं आदिवासी?
देश में आदिवासी की लड़ाई पुरानी है। अपने जल जंगल जमीन के लिए संघर्ष की दास्तां भी पुरानी है। एक बार फिर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी 300 किमी की पैदल यात्रा पर निकले हैं अपने जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए।
गांधी जयंती के दिन शुरू हुई उनकी यह यात्रा हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने की एक मुहिम है। इस क्षेत्र में अडानी कंपनी को कोयला खनन करने की अनुमति मिली है। 1,70,000 हेक्टेयर में जंगल क्षेत्र में 23 कोयला खदान प्रस्तावित है।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में दस्तावेज के अनुसार अडानी कंपनी को एमडीओ के तहत कोयला खनन करने की अनुमति मिली है जबकि खनन के लिए लीज राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित हुई है।
हसदेव अरण्य क्षेत्र सरगुजा, कोरबा, बिलासपुर आदि जिलों तक फैला है। आरोप है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र के 5 गांव सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं जबकि 15 गांव आंशिक तौर पर लेकिन अगर ये सभी खदाने संचालित हुईं तो पहले 17 हजार हेक्टेयर का जंगल फिर धीरे-धीरे सभी जंगल खत्म हो जाएंगे।
राहुल गांधी से इस आंदोलन का रिश्ता:
इस यात्रा की शुरुआत मदनपुर गाँव के उस ऐतिहासिक स्थान से की गई जहां पर वर्ष 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य के समस्त ग्राम सभाओं के लोगो को संबोधित करते हुए उनके जल- जंगल -जमीन को बचाने के लिए संकल्प लिया था।
गौरतलब है कि अदानी इससे पहले भी मोदी सरकार के संबंधों को लेकर विवादों में रह चुके हैं।