कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, किसान हमारे प्रस्ताव पर नहीं दे रहे हैं कोई भी प्रतिक्रिया
Farmer's Protest: नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से किसान संगठनों और सरकार के बीच तनातनी जल्द खत्म होती नहीं दिख रही है. वहीं एक तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) का कहना है कि सरकार किसान संगठनों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने अभी हमारे प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दूसरी ओर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है. सरकार जब तक हमारी बात नहीं मानेगी तब तक आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा.
एशिया पैसिफिक रूरल एंड एग्रीकल्चर क्रेडिट एसोसिएशन द्वारा नाबार्ड के सहयोग से क्षेत्रीय नीति फोरम की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे जिससे कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लगभग 1.75 करोड़ किसानों के बैंक खातों में लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये डाले हैं.
प्रधानमंत्री के पास कृषि क्षेत्र में विकास के लिए है पक्का विजन
इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में विकास के लिए पक्का विजन है. सरकार समझती है कि किसानों की समृद्धि के बिना अच्छी अर्थव्यवस्था को विकसित नहीं किया जा सकता है. इन नए कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक बार फिर दोहराते हुए कहा है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ कभी भी बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की ओर से सरकार के प्रस्ताव पर अभी तक कोई फीडबैक नहीं आया है.
राकेश टिकैत बोले, हमारी लंबी तैयारी है
उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Naresh Tikait) ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है. हमारी तैयारी लंबी है.
आपको बता दें कि सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया है कि यदि आंदोलन कर रहे किसान नेता नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों तो वह उनके साथ बातचीत को तैयार है. सरकार और असंतुष्ट किसानों नेताओं के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.
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