बीजेपी सांसद अरुण गोविल 'गुमशुदा' पोस्ट से विवादों में, विपक्ष ने किया हमला

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद अरुण गोविल एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनका कोई बयान नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर एक 'गुमशुदगी' का पोस्ट है, जिसने जिले में राजनीतिक हलचल मचा दी है।
चुनाव के बाद सांसद की अनुपस्थिति पर सवाल उठे
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक स्थानीय यूजर ने तंज भरे लहजे में पोस्ट किया, "हापुड़ विधानसभा से सांसद अरुण गोविल पिछले कई दिनों से गायब हैं, जनता उन्हें ढूंढ रही है।" इस पोस्ट ने देखते ही देखते वायरल हो गया और क्षेत्र के लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे।
चुनाव के बाद से ज्यादा समय मुंबई में दिखे अरुण गोविल
रामायण धारावाहिक में भगवान राम का किरदार निभाकर चर्चित हुए अरुण गोविल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ-हापुड़ सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, चुनाव के बाद से उन्हें अधिकतर मुंबई में देखा गया और हापुड़ और मेरठ में उनकी उपस्थिति कम रही।
विपक्ष ने किया तीखा हमला
इस मुद्दे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि सांसद अब जनता से कट चुके हैं और सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। उनका आरोप है कि सांसद ने जनसुनवाई और क्षेत्रीय दौरे को नकार दिया है, जिससे जनता खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। 'गुमशुदा' पोस्ट ने न केवल सोशल मीडिया पर हलचल मचाई है, बल्कि इसने जनता की नाराजगी को भी उजागर किया है।
8 करोड़ की लागत से नाले और पुलिया का निर्माण शिलान्यास
27 मई को हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने गढ़ रोड पर रेलवे क्रॉसिंग से बाईपास तक RCC नाले और पुलिया निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। इस कार्य की लागत 8 करोड़ रुपये है, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित है। यह परियोजना लंबे समय से जलभराव की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रवासियों के लिए राहत का काम करेगी।
क्या होगी सांसद की प्रतिक्रिया?
फिलहाल, इस पूरे मामले पर सांसद अरुण गोविल की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया पर बढ़ती नाराजगी के बीच उन्हें अब जनता के बीच आकर जवाब देना पड़ सकता है।
2024 में बने थे सांसद
रामायण धारावाहिक में भगवान राम का किरदार निभाकर प्रसिद्धि पाने वाले अरुण गोविल ने 2024 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मेरठ-हापुड़ सीट से जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव के बाद से वह हापुड़ विधानसभा में कम ही नजर आए, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं और जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।