बड़ा खुलासा: कोयले की कमी और अडानी का सम्बंध
वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी बताते हैं कि एक बड़ी खबर जिससे आप संभवतः अनजान हों वो यह है कि अडानी पावर प्राइवेट सेक्टर में बिजली उत्पादन की सबसे बड़ी कंपनी बन गया है। यह सब कुछ संभव हुआ है छत्तीसगढ़ में बीमार बिजलीघरों को खरीदने पर।
आप भी सोचेंगे कि भला अडानी को बीमार बिजलीघर खरीदने से क्या फायदा होगा? होगा फायदा। दरअसल अडानी इस वक्त छत्तीसगढ़ में कुल सात कोयले की खदानों को आपरेट कर रहा है। राजस्थान सरकार की इन खदानों को आपरेट करने का ठेका उसे पिछली वसुंधरा सरकार में मिला अब वह इससे निकलने वाले कोयले से अपने बिजलीघर चलाएगा।
अडानी ने पिछले 3 वर्षों में छत्तीसगढ़ में दो बिजलीघर ख़रीदे हैं जिनके नाम अवन्था और जीएमआर है। अब वह केएसके महानदी नाम की परियोजना को खरीदने का जुगाड़ रहा है।
एक सवाल यह भी उठता है कि यह बिजलीघर बीमार क्यों हुए? जवाब केवल एक है, इनको कोयला नहीं मिला। कोयला केवल अडानी के पास था। 2014 के बाद से अडानी इस तरह की खरीदी पूरे देश में कर रहा है एक के बाद एक बिजलीघर बंद हो रहे हैं। लोग बेरोजगार हो रहे हैं और अडानी का झंडा बुलंद हो रहा है ।
इन सबके पीछे एक वजह है कोयले की कमी। देश मे हर साल मानसून के दौरान कोयला खदानों में पानी भर जाता है बिजलीघरों पर संकट आ जाता है, लेकिन इस बार खतरा बड़ा है। यह खतरा इस कदर क्यों बढ़ा वजह साफ है।
आप इसको कैसे देखते हैं यह आप जाने लेकिन मुझे साफ नजर आता है कि केंद्र सरकार एनटीपीसी के बिजलीघरों और कॉल इंडिया लिमिटेड को अडानी को बेचने की तैयारी कर रही है। अडानी इसके लिए विदेश की अपनी खदानों से कोयला आयात के रास्ते खोल सकता है। महंगा कोयला महंगी बिजली के लिए तैयार रहें।