बिहार उपचुनाव: यादव और मुसहर के बीच दो दशक से हिंसक संघर्ष चल रहा है कुशेश्वर स्थान में
कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने के बाद कांग्रेस और राजद अलग हो चुका है। और अब बिहार के कुशेश्वर स्थान में उपचुनाव है। देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा के इतने दिनों बाद अब किस पार्टी की पकड़ बिहार पर ज्यादा मजबूत है।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह लिखते हैं कि जिस कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र को लेकर कांग्रेस और राजद में विवाद हुआ उस विधानसभा को लेकर राजद का मानना है कि वहां सबसे अधिक वोटर मुसहर जाति का है उसके साथ यादव और मुसलमान आ जाएगा तो फिर राजद प्रत्याशी को जीत से कोई रोक नहीं सकता है। मामला इतना आसान नहीं है बल्कि बहुत ज्यादा पेचीदा है। पेचीदा इसलिए की मुसहर और यादव एक हो ही नहीं सकते।
यादव और मुसहर के बीच दो दशक से हिंसक संघर्ष चल रहा है कुशेश्वर स्थान में:
कुशेश्वर स्थान बिहार का विधानसभा क्षेत्र जहां आज भी बाढ़ की वजह से सड़क नहीं बन पाई।अधिकांश गांव में जाने के लिए बस नाव ही एक सहारा है। यह इलाका कभी अपराधियों का गढ़ माना जाता था। एक वक्त यहां कारी पासवान और अशोक यादव गैंग के बीच वर्चस्व को लेकर खूनी संघर्ष चलता था। कारी यादव के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद सारा इलाका अशोक यादव और रामानंद यादव के कब्जे में आ गया। लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार की सरकार बनी तो मुहसर जाति के लोग यादव के आतंक के खिलाफ गोलबंद होने लगे।
इस दौरान 2008 में जोड़ी गांव में दो मुसहर की हत्या कर दी गई। और कई मुसहर घायल हो गए फिर यादव के खिलाफ नक्सली संगठन तैयार होने लगा। जो अभी तक जारी है दो दर्जन से अधिक हत्याएं इन इलाकों में हो चुकी है। एक वर्ष पहले ही कुख्यात रामानंद यादव की हत्या मुसहर जाति के लोगों ने कर दिया था।
2005 के बाद से 35 हजार आबादी के साथ मुसहर पिछले विधानसभा चुनाव तक एनडीए के साथ यानी यादव जिसके साथ रहता था उसके खिलाफ वोट करता था। लेकिन जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद मांझी का पार्टी के द्वारा माहौल बनाने की कोशिश हुई लेकिन मुसहर जदयू के साथ रहा और 2015 के चुनाव में जदयू ने एलजेपी के प्रत्याशी को 18 हजार वोट से चुनाव हार दिया।
हालांकि पहली बार राजद दल ने मुसहर को टिकट दिया है और उसको लेकर मुसहर जाति में उत्साह भी है। लेकिन दो बड़ी समस्या है कि जिस गांव में मुसहर और यादव की आबादी है वहां मुसहर यादव के साथ वोट नहीं कर रहा है।हालांकि जिस गांव में मुसहर यादव के साथ नहीं रह रहा है वहां के मुसहर का वोट शत प्रतिशत राजद उम्मीदवार के साथ है।
दूसरी सबसे बड़ी समस्या पंचायत चुनाव है यहां 12 दिसंबर को वोट पड़ना है इस वजह से मुसहर और यादव दोनों खुलकर राजनीति करने से परहेज कर रहे हैं क्योंकि कई पंचायच ऐसा है जहां यादव को अतिपिछड़ा के वोट का जरुरत है।
इसी तरह कई आरक्षित सीट ऐसा है जहां मुसहर उम्मीदवार को कुर्मी वोटर के मदद की जरूरत है। इस विधानसभा में 20 से 25 हजार कुर्मी (धानुक) का भी वोट है इसलिए इस विधानसभा में कई ऐसे फेक्टर है जो कागज पर खींची लकीर से मेल नहीं खा रहा है ।