बिहार में 71,000 करोड़ का बहीखाता गायब! कैग रिपोर्ट से मचा राजनीतिक भूचाल

 
बिहार में 71,000 करोड़ का बहीखाता गायब! कैग रिपोर्ट से मचा राजनीतिक भूचाल

बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताज़ा रिपोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार करीब 70,877 करोड़ रुपये की राशि के उपयोगिता प्रमाणपत्र (UCs) अब तक नहीं दे सकी है। यह राशि किन कार्यों में खर्च हुई, इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

बिना प्रमाणपत्र के सरकारी खर्च संदेह के घेरे में

कैग ने स्पष्ट किया है कि उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का अर्थ है कि यह राशि गबन, दुरुपयोग या धोखाधड़ी की भेंट चढ़ सकती है। राज्य सरकार ने 49,649 मामलों में UCs अब तक नहीं दिए हैं। रिपोर्ट को जैसे ही विधानसभा में पेश किया गया, विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।

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रिपोर्ट में उठे अहम सवाल

पैसा गया कहां?

रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि इतनी बड़ी रकम कहां और कैसे खर्च की गई। जिन विभागों को यह बजट आवंटित किया गया था, वे इसका कोई हिसाब नहीं दे सके हैं।

वर्षों से जारी है समस्या

कैग के अनुसार, यह मामला नया नहीं है। 2016-17 से अब तक यह अनियमितता चल रही है। इसमें 14,452 करोड़ रुपये उसी अवधि के हैं।

किस विभाग ने नहीं दी रिपोर्ट?

  • पंचायती राज विभाग: ₹28,154.10 करोड़

  • शिक्षा विभाग: ₹12,623.67 करोड़

  • शहरी विकास विभाग: ₹11,065.50 करोड़

  • ग्रामीण विकास विभाग: ₹7,800.48 करोड़

  • कृषि विभाग: ₹2,107.63 करोड़

इन विभागों ने तय समयसीमा के भीतर किसी भी प्रकार का हिसाब नहीं दिया।

बजट खर्च और बचत में भी गड़बड़ी

2023-24 के दौरान 3.26 लाख करोड़ के कुल बजट में से सरकार ने केवल 2.60 लाख करोड़ (यानी 79.92%) ही खर्च किए। इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने अपनी बचत राशि का भी केवल 36.44% ही वापसी की है।

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