बिकरू कांड में फंसे पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी को मिली जमानत, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

 
बिकरू कांड में फंसे पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी को मिली जमानत, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

कानपुर। बिकरू कांड में आरोपी बनाए गए पूर्व एसएचओ विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है, जिससे एक बार फिर यह बहुचर्चित मामला सुर्खियों में आ गया है। तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने मुख्य आरोपी विकास दुबे को पुलिस दबिश की सूचना लीक की थी, जिससे उसने हमले की साजिश रचकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।

क्या था बिकरू कांड?

2 जुलाई 2020 की रात को सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने कानपुर के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए दबिश दी थी।

पुलिस टीम के पहुंचते ही विकास दुबे और उसके साथियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। जवाबी कार्रवाई के बावजूद, विकास दुबे रात के अंधेरे और इलाके की जानकारी का फायदा उठाकर फरार हो गया।

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विनय तिवारी पर क्या थे आरोप?

जांच के दौरान सामने आया कि तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी ने ही दबिश की सूचना पहले ही विकास दुबे तक पहुंचाई थी। उन पर मुखबिरी और अपराध में अप्रत्यक्ष सहयोग का आरोप लगा। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

अब हाईकोर्ट ने प्रक्रियात्मक और साक्ष्य आधारित तथ्यों के आधार पर उन्हें जमानत दे दी है, हालांकि मामला अब भी लंबित है।

बिकरू कांड के बाद की कार्रवाई

घटना के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में:

  • विकास दुबे के भांजे अमर दुबे और मामा को मुठभेड़ में मार गिराया

  • उसके अन्य साथियों को भी अलग-अलग जगहों पर एनकाउंटर में ढेर किया गया

  • विकास दुबे को उज्जैन में गिरफ्तार किया गया और जब STF उसे लेकर कानपुर लौट रही थी,
    वह भागने की कोशिश में मारा गया, ऐसा पुलिस का दावा रहा

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