अब किसी को कहीं भी बेझिझक बोल सकते “I Love You”

नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक अहम निर्णय सुनाते हुए कहा है कि किसी महिला को “आई लव यू” कहना अपने आप में यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता, जब तक उस कथन के पीछे स्पष्ट रूप से यौन इरादा प्रमाणित न हो।
कोर्ट ने 2015 के एक केस में दी राहत
यह फैसला वर्ष 2015 की एक घटना पर आधारित है, जिसमें एक किशोरी ने आरोप लगाया था कि एक 35 वर्षीय व्यक्ति ने उसका हाथ पकड़कर उसका नाम पूछा और फिर “आई लव यू” कहा। इस आरोप पर उस व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हालांकि, ट्रायल के दौरान यह साबित नहीं हो सका कि आरोपी की मंशा यौन उत्पीड़न की थी। इस आधार पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
जज की टिप्पणी:
न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि "आई लव यू कहना" केवल एक सामान्य कथन है, और इसे तब तक यौन अपराध नहीं माना जा सकता जब तक इसके पीछे की नीयत को साबित न किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी महिला की गरिमा को आहत करने के लिए की गई हरकतें या टिप्पणियां ही भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अंतर्गत आती हैं।
यौन अपराध की परिभाषा पर न्यायालय की व्याख्या
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजन पक्ष को केवल शब्दों पर नहीं, बल्कि संदर्भ, परिस्थितियों और आरोपी के व्यवहार पर भी सटीक साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। यदि ऐसे शब्दों के पीछे कोई अनुचित उद्देश्य न हो तो उन्हें अपराध नहीं माना जा सकता।
POCSO एक्ट और IPC की धारा 354 के संदर्भ में अहम फैसला
यह निर्णय बच्चों के यौन संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 की व्याख्या में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल शारीरिक छेड़छाड़, अश्लील इशारे या आपत्तिजनक टिप्पणियां ही यौन अपराध की श्रेणी में आती हैं।