4 साल की बच्ची के रेपिस्ट को फांसी की सजा, बुलंदशहर कोर्ट ने 73 दिन में दिया फैसला
Bulandshahar: यूपी के बुलंदशहर में महज 4 साल की बच्ची से रेप और उसके बाद उसकी निर्मम हत्या के आरोपी को बुलंदशहर की कोर्ट ने आज फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी को सजा तक पहुंचाने में जिला पुलिस, सरकारी वकील, गवाह और कोर्ट ने अहम भूमिका निभाते हुए महज 73 दिन में ही आरोपी को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया,गौरतलब है कि 23 अप्रैल 2023 को आरोपी फहीम ने महज 4 वर्ष की मासूम बच्ची को टॉफी दिलाने के बहाने अपने कमरे में ले जाकर पहले उसके साथ रेप किया और फिर बच्ची से रेप की घटना का किसी को पता नहीं लगे उसके लिए उसकी निर्मम हत्या कर शव को अपने बेड के नीचे छिपा दिया।
शव आरोपी के बेड के नीचे से बरामद हुआ
बेटी के घर वापस नहीं आने पर परिवार वाले ने उसकी तलाश शुरू की लेकिन बेटी नहीं मिल सकी। घटना के अगले दिन परिजन और पुलिस को मासूम बच्ची का शव आरोपी के बेड के नीचे से बरामद हुआ।पूछताछ में आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया जिसके बाद पुलिस ने पीड़ित परिवार को जल्द इंसाफ दिलाने के लिए कानूनी कार्रवाई तेज करते हुए महज 8 दिन में ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने क्या कहा ?
अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में 8 दिन के अंदर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल करते हुए कोर्ट में मजबूर पैरवी की जिसकी वजह से बुलंदशहर के विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट ध्रुव रॉय की कोर्ट ने महज 73 दिन के अंदर तमाम प्रक्रिया को पूरी करते हुए बुधवार को फांसी की सजा सुनाई, साथ ही बताया कि बुलंदशहर में यह पहला मामला है जिसमें इतनी जल्दी पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला है और आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।कोर्ट का फैसला आते ही पीड़ित परिवार की आंखों में से आंसू छलक पड़े वहीं आरोपी फहीम फांसी की सजा सुनते ही सहम उठा।आरोपी फहीम की फांसी की सजा पर हस्ताक्षर करने के बाद न्यायाधीश ध्रुव राय ने परंपरा को ध्यान में रखते हुए कलम की निब तोड़ दी। फ़ैसले के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस, कोर्ट और केस से जुड़े तमाम लोगो का शुक्रिया अदा किया है।
आरोपी के घर पर बुलडोजर चले- बच्ची की मां
आरोपी को सजा मिलने पर बच्ची की मां ने कहा, "मैं कोर्ट के फैसले से बहुत खुश हूं, मगर आरोपी का घर देखकर मुझे गुस्सा आता है। प्रशासन को इस पर बुलडोजर चला देना चाहिए। मैं आरोपी से जुड़ा कुछ भी देखना नहीं चाहती हूं। मुझे याद है कि मेरी फूल जैसी बेटी उस दिन मेरे पास ही खेल रही थी। फिर वो नीचे चली आई थी। मैं ऊपर मसाले वाले चावल बना रही थी। चावल बनने के बाद मैंने बेटी को ऊपर बुलाया, तो उसकी कोई आवाज सुनाई नहीं दी।