पेंशनरों की मांग: CGHS में ब्रांडेड दवाएं मिलें, जेनरिक से नहीं हो रहा असर

 
पेंशनरों की मांग: CGHS में ब्रांडेड दवाएं मिलें, जेनरिक से नहीं हो रहा असर

पेंशनर फोरम ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा है, जिसमें सरकार से CGHS (Central Government Health Scheme) के तहत लाभार्थियों को जेनरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

महामंत्री आनन्द अवस्थी की ओर से भेजे गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि देशभर में करीब 95 लाख CGHS लाभार्थियों में से बड़ी संख्या 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की है, जिनमें से अधिकांश गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं और जेनरिक दवाएं उनके लिए कारगर साबित नहीं हो रही हैं।

प्रमुख शिकायतें:

  • जेनरिक दवाएं बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे डॉक्टरों को मजबूरी में ब्रांडेड दवा लिखनी पड़ती है।

  • दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल – टेबलेट टूटे हुए आते हैं, असर धीमा होता है, और मरीज लंबे समय तक अस्वस्थ बने रहते हैं।

  • ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं के दामों में भारी अंतर, जिससे गुणवत्ता पर संदेह गहराता है।

  • हृदय, लीवर, किडनी, कैंसर जैसी बीमारियों में जेनरिक दवाएं असर नहीं कर पातीं।

फोरम की अपील:

फोरम ने सरकार से विशेष आग्रह किया है कि वृद्ध CGHS पेंशनरों के लिए गंभीर बीमारियों में ब्रांडेड दवाएं ही अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे जल्दी स्वस्थ हो सकें। इसके साथ ही वेलनेस सेंटर्स में डॉक्टर द्वारा पर्चे में लिखी गई दवा ही उपलब्ध हो, जेनरिक नाम के नाम पर कमजोर गुणवत्ता की दवा न दी जाए।

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