Chandrayaan-3: लैडिंग के लिए क्यों चुनी गई 23 तारीख, ये हैं 3 वजह

चंद्रमा के जिस हिस्से परविक्रम को भारत उतारने जा रहा है, वहां 23 अगस्त को सूर्योदय होगा। चूंकि, चंद्रमा पर 14.5 पृथ्वी दिवस के बराबर दिन और 14.5 पृथ्वी दिवस के बराबर रात होती हैं, इसलिए लैंडिंग उसी दिन होगी जब वहां दिन शुरु होगा।
  
Chandrayaan-3: चांद के सबसे करीब हमारा चंद्रयान, सफल लैंडिंग का सबको इंतजार

Chandrayaan-3 इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा 'ऑल इज वेल।' चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत इतिहास रचने के बेहद करीब है। अब से कुछ ही घंटों बाद जब भारतीय क्षितिज पर सूर्य अस्ताचलगामी होगा तब, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सूर्य की पहली किरण पहुंचना शुरू करेगी और लैंडर विक्रम अपने आखिरी सफर पर निकलेगा। समय होगा शाम 5.45 बजे। अगर सब कुछ सामान्य रहा तो लगभग 19 मिनट बाद शाम 6.04 बजे मिशन चंद्रयान-3 का लैडर विक्रम, चांद की धरती पर आहिस्ते से अपना मजबूत पांव रखेगा। वह पल भारत के वैज्ञानिक उपलब्धियों के पन्ने पर स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा। अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की धरती पर अपना लैडर उतारने वाला विश्व का चौथा देश बनेगा। लेकिन, न चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने व वाला विश्व का पहला देश होगा। न ब्रह्मांड के किसी दूसरे पिंड पर उतरने की तकनीक पहली बार भारत हासिल करेगा और सौरमंडल के दूसरे पिंडों पर भी उतरने के लिए दरवाजे खुल जाएंगे। मिशन की सफलता के लिए एक इंसान के बस में जितना कुछ हो सकता है, इसरो ने उतना सब कुछ किया है। अब तक हर पड़ाव पर शत-प्रतिशत सफलता मिली है और अब लैंडिंग का इंतजार है।

सोच-समझकर चुनी गई है '23'

भारत एक साथ मिलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से यही कह रहा है। 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट, ये वो टाइम तय किया गया है कि जब चांद की सतह पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग होगी।इसके लिए 23 अगस्त की तारीख भी बेहद सोच समझकर चुनी गई है। अब उसकी वजह जान लीजिए

1. चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपने मिशन का अंजाम देने के लिए सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा, चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है,अगर चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा जब वहां रात हो तो वह काम नहीं कर पाएगा

2 इसरो सभी चीजों की गणना करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है कि 23 अगस्त से चांद के दक्षिणी ध्रुव सूरज की रौशनी उपलब्‍ध रहेगी

3 वहां रात्रि के 14 दिन की अवधि 22 अगस्त को समाप्त हो रही है। 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकलेगी, जिसकी मदद से चंद्रयान का रोवर चार्ज हो सकेगा और अपने मिशन को अंजाम देगा।


लैंडिंग आज ही क्यों ? 

चंद्रमा के जिस हिस्से परविक्रम को भारत उतारने जा रहा है, वहां 23 अगस्त को सूर्योदय होगा। चूंकि, चंद्रमा पर 14.5 पृथ्वी दिवस के बराबर दिन और 14.5 पृथ्वी दिवस के बराबर रात होती हैं, इसलिए लैंडिंग उसी दिन होगी जब वहां दिन शुरु होगा। इससे लैंडर व रोवर को प्रयोगों के लिए 14 दिन का पर्याप्त समय मिलेगा। चंद्रमा) पर रात होने के बाद तापमान माइनस 180 डिग्री तक पहुंच जाता है। रात होने पर 14 दिन बाद ये दोबारा काम कर पाएंगे यह कहना मुश्किल है। इसलिए लैंडर व रोवर की परिचालन अवधि 14 दिन रखी है, जिसकी शुरुआत 23 अगस्त से होगी।


मिशन असाधारण

हम चांद के उस हिस्से पर उतरने जा रहे हैं जहां कोई नहीं पहुंचा।

दक्षिणी ध्रुव के बेहद करीब के वातावरण का अध्ययन करेंगे।

इस क्षेत्र को एक्सप्लोर किया।

चांद पर तापीय संचार कैसे होता इसका अध्ययन करेंगे जो अब तक नहीं हुआ।

पहली बार चांद पर जाना बाकी, पूरा फोकस इसी पर। भूकंपनीयता को अत्यंत संवेदनशील उपकरणों से मायेंगे।

चांद पर लेजर किरणों का प्रहार कर उससे प्राप्त धूलकण और गैसों का अध्ययन करेंगे।
 

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