Chandrayaan-3: ISRO ने जारी की नई तस्वीर, चांद की सतह पर चहलकदमी कर रहा प्रज्ञान रोवर

Chandrayaan-3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने मिशन चंद्रयान-3 से जुड़ी ताजी तस्वीर जारी की है। विक्रम लैंडर की इस तस्वीर को प्रज्ञान रोवर ने लिया है। तस्वीर प्रज्ञान रोवर के नेविगेशन कैमरा की मदद से ली गई है।नेविगेशन कैमरा प्रज्ञान रोवर की आंख की तरह काम करता है। इसकी मदद से रोवर को पता चलता है कि चांद की सतह कैसी है और उसे आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतारा गया है। यहां की सतह समतल नहीं है। यहां बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिसके चलते प्रज्ञान के नेविगेशन कैमरा का रोल बेहद अहम हो जाता है।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 30, 2023
Smile, please📸!
Pragyan Rover clicked an image of Vikram Lander this morning.
The 'image of the mission' was taken by the Navigation Camera onboard the Rover (NavCam).
NavCams for the Chandrayaan-3 Mission are developed by the Laboratory for… pic.twitter.com/Oece2bi6zE
चांद की सतह पर चहलकदमी कर रहा प्रज्ञान
नेविगेशन कैमरा से मिली जानकारी के अनुसार छह पहिए वाला यह रोवर चांद की सतह पर चहलकदमी करते हुए खोजबीन कर रहा है। बुधवार को इसरो ने जिस तस्वीर को जारी किया वह प्रज्ञान रोवर के नेविगेशन कैमरा की पहली तस्वीर है। तस्वीर में विक्रम लैंडर को साफ-साफ देखा जा सकता है।
14 दिन का है चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का है। दरअसल, चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन कर रहे हैं। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।
23 अगस्त को इसरो ने रचा था इतिहास
23 अगस्त की शाम को इसरो ने विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारकर इतिहास रच दिया था। इसके साथ ही भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया था। इससे पहले सोवियत रूस, अमेरिका और चीन को चांद की सतह पर उतरने में कामयाबी मिली थी। भारत की सफलता इस मायने में और खास बन जाती है कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की। इस हिस्से में पहुंचने वाला भारत पहला देश है। कई देशों ने यहां पहुंचने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली