Chandrayaan-3: चांद पर खोज जारी! प्रज्ञान रोवर को सल्फर, ऑक्सीजन समेत 8 एलिमेंट्स मिले

 
इस तरह मिल रही है Chandrayaan-3 की बधाइयां, लैंडिंग के बाद भारत की मुरीद हुई दुनिया


Chandrayaan-3: Chandrayaan 3 ने चांद पर पहुंचने के पांचवें दिन ऑब्जर्वेशन भेजा है। इसके मुताबिक चांद के साउथ पोल पर सल्फर की मौजूदगी है। इसके अलावा चांद की सतह पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता चला है। ISRO के मुताबिक, चंद्रमा की सरफेस पर मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी मौजूद हैं, जबकि हाइड्रोजन की खोज जारी है। प्रज्ञान रोवर पर लगे लिब्स पेलोड ने ये खोज की हैं। इससे पहले, 28 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। 


14 दिन का है चंद्रयान-3 मिशन

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का है। दरअसल, चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन कर रहे हैं। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

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पहले मिशन में पानी खोजा था

2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- 'मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।'

साउथ पोल का तापमान पता चलने का फायदा क्या?

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया था कि उन्होंने चंद्रमा के साउथ पोल को इसलिए चुना, क्योंकि यहां भविष्य में इंसानों को बसाने की क्षमता हो सकती है। साउथ पोल पर सूर्य का प्रकाश कम समय के लिए रहता है। अब जब चंद्रयान-3 वहां के तापमान समेत अन्य चीजों की स्पष्ट जानकारी भेज रहा है, तो वैज्ञानिक अब यह समझने की कोशिश करेंगे कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी वास्तव में कितनी क्षमता रखती है।

चंद्रयान-3 के साथ कुल 7 पेलोड भेजे गए हैं

चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से हैं। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड, जिसका नाम शेप है, वह चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई

ISRO ने 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया।चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।
 

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