Mission Chandrayan 3: चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च, इसरो अध्यक्ष बोले अब हम होंगे कामयाब, सबको शुभकामनाएं

Chandrayan 3: देश के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 आज शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे लॉन्च हो गया है। 24-25 अगस्त को चांद पर उतरने के बाद अगले 14 दिन रोवर लैंडर के चारों ओर 360 डिग्री में घूमेगा और कई परीक्षण करेगा। रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा। भारत चंद्रमा पर राष्ट्रध्वज पहुंचाने वाला चौथा देश बनेगा ही, चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला पहला देश भी होगा। यह वही इलाका है जहां चंद्रयान-1 के दौरान मून इंपैक्ट प्रोब छोड़ा था और इसरो ने पानी होने का पता लगाया था। यहीं चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग हुई थी।
इस बार लैंडर में चार ही इंजन, पांचवां हटाया
इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो होंगे, लेकिन पिछली बार शामिल बीचोबीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया है। इसके अलावा फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें। इसी तरह इस बार ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा जो लैंडर और रोवर से अलग होने के बाद भी चंद्रमा की परिक्रमा में घूमेगा और चंद्रमा से धरती पर जीवन के लक्षण पहचानने की कोशिश करेगा। भविष्य में इस डेटा का इस्तेमाल अन्य ग्रहों, उपग्रहों और तारों पर जीवन की खोज में हो सकेगा।
इतना अहम है चांद
- • चांद के गुरुत्व बल से पृथ्वी धीमी गति से घूमती है। चांद न हो तो पृथ्वी तेजी से घूमेगी, दिन जल्दी बीतेगा। महज छह घंटे का होगा। • चांद न हो तो हम न चंद्र ग्रहण . देख पाएंगे, न ही सूर्य ग्रहण |
- • जब पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण होता है, तब चांद पर सूर्य ग्रहण होता है। • धरती से सूर्य-चंद्रमा एक आकार के दिखते हैं। सूर्य की तुलना में • पृथ्वी से 400 गुना करीब होने से चंद्रमा सूर्य के बराबर दिखता है।
- • धरती से चांद का सिर्फ 55% से . 60% हिस्सा ही दिखाई देता है। . चांद पर अब तक 12 मानव जा चुके हैं। हालांकि 1972 के बाद पिछले 51 साल से कोई मानव चांद की सतह पर नहीं उतरा।
भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बनेगा
अगर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद पर उतरने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। करीब 2 महीने बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश कर रहा विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है।
इसरो के पास पहले लैंडिंग का मौका
इधर, रूस ने अपना मून लैंडर मिशन स्थगित कर दिया है। ऐसा ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एडिशनल चेक्स पूरे न होने की वजह से किया गया है। इससे पहले 2022 में भी रूसी मिशन तकनीकी दिक्कतों की वजह से टाला गया था। ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 के पास रूस से पहले चंद्रमा पर उतरने का मौका है।
इसरो चीफ बोले- हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे।