तेलंगाना स्मार्ट कार्ड विवाद: चीनी चिप को लेकर कलरप्लास्ट पर गंभीर आरोप
हैदराबाद , तेलंगाना में एक बड़ा डिजिटल सुरक्षा संकट खड़ा हो गया है। राज्य के ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा उपयोग किए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण स्मार्ट कार्ड अब सवालों के घेरे में हैं। इस पूरे मामले के केंद्र में है Colourplast India Pvt. Ltd., जिस पर घटिया क्वालिटी के चिप्स – जो कि कथित तौर पर चीनी हैं – लगाने का आरोप लगा है।
किसने उठाई आपत्ति?
सुरक्षा और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली प्रतिष्ठित NGO “राहत – द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन” ने सबसे पहले इस मामले को उजागर किया। फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. कमल सोई ने एक विस्तृत शिकायत पत्र तेलंगाना के परिवहन मंत्री को भेजा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि Colourplast द्वारा सप्लाई किए गए स्मार्ट कार्ड भारतीय सुरक्षा मानक SCOSTA (Smart Card Operating System for Transport Applications) के अनुरूप नहीं हैं।
आरोप क्या है?
फरवरी 2023 में तेलंगाना ट्रांसपोर्ट विभाग ने Colourplast India Pvt. Ltd. को प्री-प्रिंटेड PVC स्मार्ट कार्ड सप्लाई करने का ठेका दिया था। लेकिन शिकायत के मुताबिक, DL0358000/24 और RC0380000/24 जैसे कई स्मार्ट कार्ड सीरीज़ में गैर-मान्यता प्राप्त चीनी चिप्स का इस्तेमाल किया गया।
इन चिप्स में जरूरी एन्क्रिप्शन तकनीक नहीं थी, जिससे डेटा लीक, साइबर अटैक और यहां तक कि जासूसी का खतरा भी बन सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने 10 जून 2024 को जांच की। जांच में सामने आया कि 20 कार्ड सैंपल में से 12 फेल हो गए। इनमें Samsung S3K140A चिप्स पाई गईं, जो कि SCOSTA की सूची में नहीं हैं।
इसके बाद, 24 जून को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने Colourplast को Show Cause Notice भेजा। लेकिन 7 अगस्त तक कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद डॉ. सोई ने फिर से इस मुद्दे को उठाया और सरकार से मांग की कि प्रोजेक्ट की पूरी लागत वसूली जाए, पेनल्टी लगाई जाए और Colourplast को भविष्य के किसी भी सरकारी टेंडर से ब्लैकलिस्ट किया जाए।
Colourplast ने क्या कहा?
Colourplast ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने केवल ब्लैंक स्मार्ट कार्ड्स सप्लाई किए हैं। कंपनी के लीगल हेड सौरभ यादव ने कहा, “हम केवल वही सामग्री देते हैं जो कॉन्ट्रैक्ट में लिखा गया है। कार्ड्स में कोई डाटा पर्सनलाइज़ेशन हमारी जिम्मेदारी नहीं है।”
मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
यह सिर्फ एक कंपनी की लापरवाही नहीं, बल्कि सरकार के डिजिटल टेंडरिंग सिस्टम की कमज़ोर कड़ी को उजागर करता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो इसका मतलब है कि तेलंगाना के हज़ारों लोगों के निजी डेटा को गंभीर खतरा हो सकता है।
आज के डिजिटल युग में, डेटा ही शक्ति है — और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था बड़े स्तर पर पहचान चोरी, निगरानी और साइबर अपराध को बढ़ावा दे सकती है। इसी कारण, राहत जैसे संगठन मांग कर रहे हैं कि ऐसी परियोजनाओं में थर्ड-पार्टी ऑडिट, पारदर्शिता और कड़े तकनीकी नियम** अनिवार्य किए जाएं।