Delhi-NCR के साथ पंजाब में भी बढ़ा प्रदूषण, जालंधर में विजिबिलिटी बेहद कम
Delhi-NCR से शुरू हुआ वायु प्रदूषण का संकट अब पंजाब तक पहुंच गया है। जालंधर में घने स्मॉग के कारण दृश्यता (विजिबिलिटी) में भारी कमी आई है। यह स्थिति दैनिक जीवन को बाधित कर रही है, जिससे निवासियों को असुविधा और परिवहन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
जालंधर में बिगड़ी वायु गुणवत्ता
जालंधर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 322 के पार पहुंच चुका है, जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है। यह प्रदूषण स्तर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहा है।
दृश्यता और दैनिक जीवन पर असर
स्मॉग के कारण वाहन चालकों को दिन के समय भी हेडलाइट जलानी पड़ रही है।
सड़कों पर धीमी गति और खतरनाक हालात से यातायात प्रभावित हुआ है।
निवासियों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी की शिकायत हो रही है।
पंजाब के अन्य प्रभावित क्षेत्र
जालंधर के अलावा पंजाब के अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है:
अमृतसर: AQI 246
लुधियाना: AQI 220
पटियाला: AQI 206
रूपनगर: AQI 202
निवासियों के लिए स्वास्थ्य परामर्श
डॉक्टरों ने लोगों को निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी है:
बाहर निकलते समय मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे का उपयोग करें।
सुबह और शाम के समय बाहरी गतिविधियों से बचें।
घर के अंदर हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है।
पंजाब में प्रदूषण के मुख्य कारण
प्रदूषण के इस संकट के प्रमुख कारण हैं:
फसल के अवशेष (पराली) जलाने की प्रथा।
औद्योगिक उत्सर्जन।
वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण।
हवा की गति की कमी के कारण प्रदूषक कण जमीन के पास जमा हो गए हैं, जिससे स्थिति और खराब हो गई है।
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प्रशासन पर बढ़ा दबाव
दिल्ली-एनसीआर और पंजाब के स्थानीय प्रशासन पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है। लोगों को पर्यावरण-अनुकूल आदतें अपनाने के लिए जागरूक करने की भी आवश्यकता है।
यह क्यों मायने रखता है?
उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण स्तर ने टिकाऊ प्रथाओं और सख्त पर्यावरणीय नियमों की आवश्यकता को उजागर किया है। जैसे-जैसे सर्दियां बढ़ेंगी, प्रदूषण का स्तर और बिगड़ सकता है, जिससे तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।