Delhi क्यों बनी गैस चैंबर? दिवाली के बाद भी प्रदूषण क्यों नहीं कम हो रहा?
Delhi में दिवाली के दो हफ्ते बाद भी वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जबकि AQI डेटा में कुछ सुधार दिखने लगा है, फिर भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। बुधवार को दिल्ली का AQI 361 तक पहुंच गया, जो कि "खतरनाक" श्रेणी में आता है। सड़कों पर धुंध और विजिबिलिटी की समस्या लगातार बनी हुई है।
दिवाली के बाद भी प्रदूषण क्यों कम नहीं हो रहा?
दिवाली के दिन पटाखों के कारण पीएम 2.5 का स्तर 900 तक पहुंच गया था, जिससे हवा में अत्यधिक प्रदूषण फैल गया। हालांकि दिवाली के बाद AQI में सुधार देखा गया है, लेकिन ठंड के मौसम और हवा की स्थिरता ने प्रदूषण के स्तर को बनाए रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में सुधार धीमा हो रहा है, क्योंकि प्रदूषक कण ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं और वातावरण में बने हुए हैं।
पराली जलने का असर और पटाखों का योगदान
हर साल की तरह, पराली जलने के कारण दिल्ली की हवा में जहर घोल दिया गया था। अक्टूबर के अंत तक, पराली जलने का असर दिल्ली के AQI पर भारी पड़ा था। दिल्ली में पटाखों के प्रभाव और पराली जलने से उत्पन्न धुएं ने वायु प्रदूषण को और बढ़ा दिया, जो अब भी जारी है। इसके अलावा, सर्दियों में हवा का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे प्रदूषक कण अधिक समय तक वातावरण में बने रहते हैं और स्मॉग की स्थिति और खराब हो जाती है।
दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण
पराली जलाना: हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ता है।
वाहन और उद्योग: दिल्ली में वाहनों की अधिक संख्या और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण का भी प्रदूषण पर बड़ा असर पड़ता है।
निर्माण कार्य: निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल भी वायु प्रदूषण का कारण बनती है।
सर्दी का मौसम: सर्दियों में ठंडी और स्थिर हवा के कारण प्रदूषक कण वातावरण में बने रहते हैं और स्मॉग की स्थिति बनती है।
क्या हो सकता है समाधान?
जब तक प्रदूषण के मूल कारणों, जैसे पराली जलाना, वाहनों की संख्या, निर्माण कार्यों और औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो सकता। सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, उद्योगों की जांच करना और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू करना।