पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत में कम हुई है आज़ादी: फ्रीडम हाउस

अमेरिकन संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में लोगों की आजादी पहले से कुछ कम हुई है. रिपोर्ट में लिखा है कि भारत एक ‘स्वतंत्र’ देश से ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ देश में बदल गया है.
दरअसल इस रिपोर्ट में ‘पॉलिटिकल फ्रीडम’ और ‘मानवाधिकार’ को लेकर तमाम देशों में रिसर्च की गई थी. रिपोर्ट में साफ लिखा है कि साल 2014 में भारत में सत्तापरिवर्तन के बाद नागरिकों की स्वतंत्रता में गिरावट आई.
बतादे, 'फ्रीडम हाउस' एक अमेरिकी शोध संस्थान है जो हर साल 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड' रिपोर्ट निकालता है. इस रिपोर्ट में दुनिया के अलग अलग देशों में राजनीतिक आजादी और नागरिक अधिकारों के स्तर की समीक्षा की जाती है. ताजा रिपोर्ट में संस्था ने भारत में अधिकारों और आजादी में आई कमी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
सरकार ने आलोचकों पर कसा शिकंजा- रिपोर्ट
संस्था ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की आलोचना की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही देश में राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में कमी आई है. संस्था का आंकलन है कि भारत में मानवाधिकार संगठनों पर दबाव बढ़ा है, विद्वानों और पत्रकारों को डराने का चलन बढ़ा है और विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बना कर कई हमले किए गए हैं.
रिपोर्ट में प्रवासी मजदूरों के पलायन का भी जिक्र
नागरिकों को एक जगह से दूसरी जगह जाने की स्वतंत्रता के सवाल पर तालाबंदी के दौरान हुए प्रवासी श्रमिक संकट और पुलिस और 'विजिलांते' लोगों द्वारा हिंसक और भेद-भावपूर्ण बर्ताव की वजह से देश के अंक गिर गए हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सत्ता पर काबिज 'हिंदू राष्ट्रवादी ताकतों' ने मुसलमानों को बलि का बकरा बनाए जाने को बढ़ावा दिया, उन्हें अनुपातहीन रूप से कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार बताया गया जिसकी वजह से उन पर भीड़ द्वारा हमले हुए.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह और ज्यादा चिंताजनक इसलिए हैं क्योंकि भारत के "आंशिक रूप से स्वतंत्र" श्रेणी में आने के बाद अब दुनिया की 20 प्रतिशत से भी कम आबादी स्वतंत्रत देशों में बची है. यह 1995 के बाद अभी तक का सबसे कम अनुपात है.
हालांकि रिपोर्ट पर अबतक भारत सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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