2021 में हुए प्रमुख राजनीतिक विवादो का विवरण
साल 2021 अब अपने अंतिम मोड़ पर हैं। यह साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा, कभी लोगों को कोरोना ख़त्म होता लगा तो कही यह वापस आता दिखा।कोरोना की बढ़ती लहर के बीच अपनो को खोना हो या केंद्र का कैबिनेट विस्तार। बंगाल चुनाव की गर्मी हो कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सिजन ना मिलने से मरने लोग। राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलने से लेकर प्रधानमंत्री का ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ वार्ता करना हो। कांग्रेस के कुनबे में दो फाड़ हो या CDS बिपिन रावत की दुर्भाग्यपूर्ण मौत..! और भी तमाम घटनाओं का ज़िक्र करेंगे। तो चलिए आज हम आपको साल 2021 इस हाइलायट्स बताते हैं।
सड़क से संसद तक किसानो का संघर्ष:-
इस साल के शुरुआती महीने जनवरी में किसान आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा और दिल्ली के चारों तरफ सड़कों को बंद कर दिया गया था। कड़कड़ाती ठंड में किसानो ने हार नहीं मानी और अपना धरना प्रदर्शन तेज करते हुए 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की माँग करी। उनकी इस बात को शासन और प्रशासन दोनो ने कुछ शर्तों पर मान लिया था। लेकिन हुआ इसके एक दम उलट जब क़ानून को ताक पर रखकर सड़क पर संविधान की सार्वजनिक रूप से धज्जियाँ उड़ाई गई।
जब देश हुआ शर्मसार:-
26 जनवरी को जहां एक तरफ पूरा देश 71 वा गणतंत्र दिवस मना रहा था तो वही राकेश टिकैत के नेतृत्व वाले किसान नेताओ ने दिल्ली कूच कर परेड करने का फैसला किया था। लेकिन देखते ही देखते लाखों की संख्या में किसान “लाल क़िले” की तरफ बढ़ते चले गए और फिर वो घड़ी आई जिसने भारत की सहनशीलता को ललकारा। हज़ारों की संख्या में तथाकथित किसान “लाल क़िले की प्राचीर पर पहुँच गए और “निशान साहेब” का झंडा लहरा दिया। इस घटना में सुरक्षाबलों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया गया यहां तक विधर्मियो ने राम मंदिर और बाबा केदारनाथ की झांकी तक तोड़ी।
मार्च में कोरोना ने पकड़ा जोर:-
भारत में कोरोना की दूसरी लहर मार्च के अंत में आनी शुरू हो गयी थी, तब बुजुर्गों को टिका लगना शुरू ही हुआ था। अप्रैल शुरू होते ही कोरोना ने अपना कहर भरपाना शुरू कर दिया, पूरे देश में लोग अपने आप को लाचार महसूस कर रहे थे। देश की राजधानी दिल्ली समेत तमाम बड़े राज्यों में सड़कों पर ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए लोग संघर्ष करते दिखे। लाशों का भंडार हज़ारों की संख्या में शमशान भूमि पर मौजूद था, लेकिन ऑक्सिजन के कारण हुई मौत पर पीड़ित परिवारो पर नमक छिड़कने का काम राज्य और केंद्र सरकारो ने किया जब सरकारों साफ इनकार कर दिया की ऑक्सिजन के कारण से किसी की मौत नहीं हुई।
कांग्रेस के कुनबे को लगी नजर:-
इसी साल में कांग्रेस के कुनबे को इंदिरा गांधी के समय वाली नजर लगी, जब एक कांग्रेस इंदिरा गांधी के समर्थन में उतर गई तो दूसरी इंदिरा के विरोध में बनी। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलेट हो गया था। कांग्रेस के लिए पायलेट को रोक कर रखना मुश्किल हो गया था, इससे पहले राहुल गांधी के भरोसेमंद सिंधिया पहले ही कांग्रेस को गुडबाय कह चुके थे। उसके बाद पंजाब में कैप्टन अमरिंदर बनाम नवजोत सिंह सिद्धू हुआ जिसके कारण अब कैप्टन ने अलग पार्टी बना भाजपा से हाथ मिला लिया हैं। छत्तीसगढ़ में भी कुर्सी की जंग देखी गई पर आलाकमान के हस्थक्षेप के बाद मामला संभाल लिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी का खेल में मास्टरस्ट्रोक:-
ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन से प्रभावित हो कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सालो पुराने “राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम अचानक से बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कर दिया। जिसके बाद 2021 के ओलम्पिक खिलाड़ियों को पहली बार मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया। PM मोदी ने पहली बार ओलंपिक में हारने वाले खिलाड़ियों की भी ढाढ़स बांधी और सभी खिलाड़ियों के भारत लौटने पर उनको अपने आवास पर मुलाक़ात के लिए न्योता भेजा। टोक्यो ओलंपिक के खिलाड़ियों के साथ-साथ पीएम ने पैराओलंपिक के खिलाड़ियों को भी न्योता दिया।
किसानो का सम्मान या चुनावों का दबाव:-
गुरुपर्व के दिन अचानक सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश को संबोधन शुरू हुआ। शुरुआत में उन्होंने सिख समुदाय को प्रकाशपर्व की बधाई दी फिर अचानक उन्होंने हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगते हुए तीनो कृषि बिल को वापस लेने का ऐलान किया। मोदी सरकार ने सात साल में पहली बार अपने कदम वापस लिए थे। जिसके बाद किसान आंदोलन की समाप्ति हुई, बीजेपी इसे राष्ट्रहित में लिया गया फ़ैसला बता रही थी। तो विपक्ष इसे किसानो की जीत बता रहे थे वही कुछ विरोधियों का कहना था की उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत पाँच राज्यों के चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए यह फ़ैसला लिया गया।
दिसंबर में दिल से रोए भारतवंशी:-
साल का आख़िरी महीना जो एकाएक पूरे देश को रुला गया, भारत के प्रथम CDS जनरल बिपिन रावत जी का एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मौत हो जाना। बिपिन रावत ने बतौर आर्मी चीफ दो सर्जिकल स्ट्राइक और एक एयर स्ट्राइक का नेतृत्व किया था। उनको सेना को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने के लिए याद किया जाएगा। CDS बिपिन रावत अपनी धर्मपत्नी और अन्य जवानो के साथ औपचारिक दौरे पर थे। अचानक उनका हेलिकॉप्टर क्रश हुआ और उनकी मौत हो गई, इसके बाद कई असामाजिक तत्वों ने CDS की मौत पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की जिनमे से कुछ लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया।
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