डिजिटल एड्रेस सिस्टम: भारत में हर पते को मिलेगी डिजिटल पहचान, सरकार की नई योजना

 
डिजिटल एड्रेस सिस्टम: भारत में हर पते को मिलेगी डिजिटल पहचान, सरकार की नई योजना

केंद्र सरकार ने 2009 में डिजिटल पहचान (आधार) की शुरुआत कर देशवासियों को एक खास डिजिटल आईडी प्रदान की थी। इसी कड़ी में अब सरकार एक नई योजना लेकर आई है जिसका नाम है डिजिटल एड्रेस सिस्टम (DAS)। इस योजना का मकसद भारत के हर पते को एक डिजिटल पहचान देना है ताकि सरकारी और निजी दोनों सेवाएं बेहतर ढंग से पहुंचाई जा सकें।

क्या है डिजिटल एड्रेस सिस्टम?

डिजिटल एड्रेस सिस्टम में देश के हर घर, बिल्डिंग या स्थान को एक यूनिक डिजिटल आईडी दी जाएगी। यह आधार या यूपीआई की तरह एक सरकारी डाटाबेस होगा, लेकिन यह व्यक्ति आधारित नहीं बल्कि पते आधारित होगा। इसके जरिए किसी भी पते से जुड़ी पूरी जानकारी सुरक्षित रखी जाएगी और बिना मालिक की मंजूरी के इसे साझा नहीं किया जा सकेगा।

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योजना क्यों जरूरी है?

आज भारत में ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी, कूरियर सेवाओं के बढ़ते दायरे के कारण पता संबंधी जानकारी की मांग भी बढ़ी है। लेकिन अभी तक देश में पतों का समेकित और सुरक्षित डाटाबेस नहीं है, जिससे डिलीवरी और सेवाओं में दिक्कतें आती हैं। गलत या अपूर्ण पता जानकारी से भारत की सेवा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सालाना 10-14 अरब डॉलर का नुकसान होता है। इसलिए सरकार ने डिजिटल एड्रेस सिस्टम के जरिए इन कमियों को पूरा करने का निर्णय लिया है।

योजना की वर्तमान स्थिति

भारत का डाक विभाग इस योजना के लिए ड्राफ्ट फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय इस योजना की निगरानी कर रहा है। जल्द ही ड्राफ्ट आम जनता के लिए खोला जाएगा ताकि उनकी प्रतिक्रिया ली जा सके। इसके बाद सरकार इस साल के अंत तक इस योजना को लागू कर सकती है और संसद में विधेयक पेश किया जाएगा।

डिजिटल एड्रेस सिस्टम कैसे काम करेगा?

डिजिटल एड्रेस सिस्टम के तहत भारत के हर स्थान को सही लोकेशन के साथ एक डिजिटल आईडी मिलेगी। इसे बाद में आधार और यूपीआई से लिंक किया जाएगा ताकि पहचान, वित्तीय जानकारी और पते की जानकारी को एक साथ जोड़ा जा सके। इससे सरकारी सेवाओं के साथ-साथ निजी सेवाएं भी सटीक और सुरक्षित रूप से उपलब्ध होंगी।

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