UK Parliament में किसान आंदोलन की चर्चा के दौरान मंत्री निगेल एडम्स बोले: 'किसान आंदोलन भारत का आंतरिक मामला'
बीते 100 दिन से अधिक समय से भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन की संसद में भी चर्चा हुई. आंदोलन कर रहे किसानों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में डाली गई याचिका के बाद यह चर्चा हुई है. जानकारी के मुताबिक, इस याचिका पर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे.
लंदन के पोर्टकुलिस हाउस में 90 मिनट तक चली चर्चा के दौरान UK में मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एशिया निगेल एडम्स ने कहा कि कृषि नीति भारत सरकार के लिए एक आंतरिक मसला है. हमारी सरकार का दृढ़ता से मानना है कि बोलने की आजादी और शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि "हम यह भी स्वीकार करते हैं कि यदि कोई विरोध-प्रदर्शन अपनी लिमिट क्रॉस करता है, तो लोकतंत्र में सुरक्षा बलों को कानून-व्यवस्था लागू कराने का अधिकार है. एडम्स ने पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स में 'भारत में शांतिपूर्ण विरोध और प्रेस की आजादी' के मुद्दे पर एक बहस के दौरान यह बयान दिया"
वही, कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने साफ कहा कि कृषि भारत का आंतरिक मामला है और उसे लेकर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.
हालांकि निगेल एडम्स यह भी कहा कि भारत में हमारे हाईकमीशन नेटवर्क के अधिकारी मामले पर नजर बनाए हुए हैं और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन पर हमें लगातार फीडबैक दे रहे हैं. हमें पता है कि भारत सरकार मामले को हल करने के लिए कई बार किसानों से बात भी की है, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही मामले का हल बातचीत के जरिए ही निकाल लिया जाएगा.
बता दें कि लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक राब को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में सांसदों ने किसान कानून के विरोध में भारत पर दबाव बनाने की मांग की गई थी. सांसदों के गुट ने डोमिनिक रॉब से कहा है कि वे पंजाब के सिख किसानों के समर्थन विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालकों के जरिए भारत सरकार से बातचीत करें.
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