Gaganyaan: इसरो ने की तैयारी! लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा से गगनयान की पहली टेस्ट उड़ान 21 अक्टूबर को, जाएगा आउटर स्पेस तक
Gaganyaan: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 21 अक्टूबर 2023 को इसरो अपने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उड़ान करेगा। यह टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 है। साथ ही इसे टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइंट भी कहा जा रहा है। इस लॉन्चिंग में गगनयान मॉड्यूल को अंतरिक्ष तक लॉन्च किया जाएगा। यानी आउटर स्पेस तक भेजा जाएगा। फिर वह वापस जमीन पर लौटेगा। फिर उसकी रिकवरी भारतीय नौसेना करेगा। नौसेना ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। इस टेस्ट उड़ान की सफलता गगनयान मिशन के आगे की सारी प्लानिंग की रूपरेखा तय करेगा।
🚨 ISRO to conduct first test flight of Gaganyaan mission on October 21. pic.twitter.com/P28PJSl9Xm
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) October 12, 2023
लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा से, लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में
इसे लॉन्चिंग के लिए श्रीहरिकोटा भेजा जाएगा। इस मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए इसरो ने सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट का डेवलपमेंट किया है। इस टेस्ट में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम होंगे। ये दोनों आवाज की गति से ऊपर जाएंगे। फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से एबॉर्ट सिक्वेंस शुरू होगा। सिस्टम डिप्लॉय होगा। वहीं पर क्रू एस्केप पैराशूट से नीचे आएगा। बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग होगी।
मॉड्यूल के अंदर होगी खाने-पीने-सोने की सुविधा
गगनयान के क्रू मॉड्यूलके अंदर भारतीय अंतरिक्ष यात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे। क्रू मॉड्यूल डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट आदि होंगे। क्रू मॉड्यूल का अंदर का हिस्सा लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त होगा। यह उच्च और निम्न तापमान को बर्दाश्त करेगा। वहीं अंतरिक्ष के रेडिएशन से गगननॉट्स को बचाएगा। वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले मॉड्यूल अपनी धुरी पर खुद ही घूम जाएगा
उड़ान के दौरान नेविगेशन, टेलिमेट्री आदि की होगी जांच
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी, जिसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। 21 अक्टूबर की उड़ान के दौरान नेविगेशन, सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, ऊर्जा आदि की जांच की जाएगी। क्रू मॉड्यूल को अबॉर्ट मिशन पूरा करने के बाद बंगाल की खाड़ी से भारतीय नौसेना की टीम रिकवर करेगी। 'अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए।