जीआई टैग क्या है और क्यों जरूरी है? जानिए भारत के प्रमुख उत्पादों को मिलने वाले फायदे

नई दिल्ली। भारत में हाल ही में तमिलनाडु के कुंभकोणम के खास दिल के आकार वाले पान के पत्ते को जीआई टैग (Geographical Indication) मिला है। लेकिन यहां के किसानों को इस टैग से मिलने वाले फायदों की जानकारी कम है। इससे पहले दार्जिलिंग की चाय, बनारसी साड़ियां और तिरुपति के लड्डू को भी जीआई टैग मिला है।
जीआई टैग क्या होता है?
जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Right) है, जो किसी उत्पाद को उसके भौगोलिक क्षेत्र से जोड़कर उसकी पहचान करता है। यह टैग उस उत्पाद को विशिष्ट बनाता है जो केवल किसी खास इलाके में ही पारंपरिक तरीके से बनाया या उगाया जाता है।
जीआई टैग क्यों दिया जाता है?
जीआई टैग तब दिया जाता है जब किसी उत्पाद की गुणवत्ता, विशिष्टता या मान्यता सीधे उसके भौगोलिक स्थान से जुड़ी हो, जैसे कि बनारसी साड़ी जो वाराणसी में ही बनाई जाती है।
जीआई टैग से क्या फायदे मिलते हैं?
जीआई टैग से उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलती है। इससे उत्पाद की नकल रोकी जा सकती है और असली उत्पादकों को आर्थिक लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र का कोंकण क्षेत्र का अल्फांसो आम, बनारस की साड़ी, दार्जिलिंग चाय आदि।
जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया क्या है?
जीआई टैग के लिए GI रजिस्ट्री ऑफिस में आवेदन करना पड़ता है। आवेदन के बाद उत्पाद की विशेषताओं और भौगोलिक संबंध की जांच की जाती है। यदि कोई आपत्ति नहीं आती है तो टैग दिया जाता है।
भारत में किन उत्पादों को मिला है जीआई टैग?
भारत में अब तक 697 उत्पादों को जीआई टैग दिया जा चुका है। इनमें प्रमुख हैं:
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बनारसी साड़ी, ठंडाई
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दार्जिलिंग चाय
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कोंकण का अल्फांसो आम
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मथुरा का पेड़ा
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काश्मीरी केसर
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जौनपुर की इमरती
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तिरुपति लड्डू
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मिर्जापुर की दरियां
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और कई अन्य
राज्यवार जीआई टैग का वितरण
उत्तर प्रदेश के पास सबसे ज्यादा 75 उत्पादों को जीआई टैग मिला है, इसके बाद तमिलनाडु के पास 68 और कर्नाटक के पास 48 उत्पादों को टैग मिला है।