Gyanvapi:ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

 
Gyanvapi:ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

Gyanvapi Masjid Shivling Dispute: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिहा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट मे पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई को कथित शिवलिंग की कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह कैसे होगा? इस पर वाराणसी कोर्ट निर्णय लेगा। उन्हीं की निगरानी में यह काम किया जाएगा

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ज्ञानवापी से जुड़े कई मामलों की होनी है सुनवाई


वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की याचिका पर भी सुनवाई होगी। इस दौरान केसों की सुनवाई का शेड्यूल तय किया जाएगा। इसके अलावा राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं की तरफ से दाखिल मां श्रृंगार गौरी वाद में भी सुनवाई होगी। पक्षकार नीरज शेखर सक्सेना की मृत्यु होने पर उनके स्थान पर नया उत्तराधिकारी बनाने का अनुरोध किया गया था। ज्ञानवापी परिसर प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश सुनवाई करेंगे। जज ने हिन्दू पक्ष के सभी याचिकाकर्ताओं को जिला एवं सत्र न्यायालय में तलब किया है।

क्यों ये विवाद पैदा हुआ ?

श्रृंगार गौरी समेत अन्य विग्रहों की पूजा के अधिकार के वाद पर सुनवाई के दौरान हुए सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने में एक आकृति मिली है, जिसे कथित तौर पर शिवलिंग बताया गया। इसी आकृति की कार्बन डेटिंग और दूसरे वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष की चार याचियों की ओर से जिला अदालत में अपील की गई। वैसे मुस्लिम पक्ष को भी कार्बन डेटिंग पर आपत्ति है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग

  • कार्बन डेटिंग वो वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया है, जिसके जरिए 50,000 साल पुराने अवशेष का पता लगाया जा सकता है। वाराणसी में ये मांग करने वाले कम नहीं कि ज्ञानवापी से मिली आकृति की कार्बन डेटिंग से पहले कला वास्तु विशेषज्ञों की कमेटी से जांच करानी चाहिए.
  • कार्बन डेटिंग को रेडिया कार्बन डेटिंग भी कहा जाता है।
  • किसी जीवाश्म या पुरातत्व संबंधी चीज की आयु ये पुख्ता तौर पर बता देती है लेकिन ऐसा नहीं है, ये भी उसकी अनुमानित आयु बताता है।
  •  माना जाता है कि हर पुरानी चीज पर समय के साथ कार्बन के तीन आइसोटोप आ जाते हैं।
  • जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होते हैं। ये कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 हैं। कार्बन-14 के जरिए ही डेटिंग विधि को काम में लाया जाता है।

कार्बन डेटिंग में निर्धारण कैसे होता है?

कार्बन-14 द्वारा कालनिर्धारण की विधि का प्रयोग पुरातत्व-जीव विज्ञान में जंतुओं एवं पौधों के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल, समय चक्र का निर्धारण करने में किया जाता है। इसमें कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच अनुपात निकाला जाता है। वैज्ञानिक निष्कर्षों में साबित हो चुका है कि कार्बन 14 का एक निर्धारित मात्रा का नमूना 5730 वर्षों के बाद आधी मात्रा का हो जाता है। ऐसा रेडियोधर्मिता क्षय के कारण होता है।

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