मोदी को मोदी बनाने वाली हीराबेन के खास किस्से, आपको भी मिलेगी बड़ी सीख
Heeraben Modi Passed Away: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का निधन हो गया है. वह 100 साल की थीं। तबीयत खराब होने के बाद बुधवार की सुबह उन्हें अहमदाबाद के ‘यू एन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने मां के 100वें जन्मदिन 18 जून 2022 को एक ब्लॉग लिखा था। ये बातें वहीं लिखी थीं।अब हीराबेन नहीं हैं। अहमदाबाद में उनका निधन हो गया। लेकिन उनके किस्से अब भी हैं। कुछ प्रधानमंत्री के सुनाए-बताए और कुछ दूसरों की जुबानी। कुछ खास किस्से।
हमे प्रेरित करेंगी देगी पीएम मोदी की मां से जुड़ी ये बातें
1. समय की पक्की और मेहनतीः सुबह 4 बजे उठतीं, सारा काम खुद करतीं
किस्सा-1
मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकाने खोलने से पहले पास की मंदिर में प्रार्थना जरूर करने जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठती और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं। अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाब से धो लाता। कपड़े धोना और मेरा खेलना, दोनों साथ-साथ हो जाया करते थे।
विपरीत परिस्थितियों में सहनशील
किस्सा-2
घर का खर्च चलाने के लिए मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थी। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत कातती। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। मानसून हमारे मिट्टी के घर के लिए मुसीबत बनकर आता था। बरसात के दिनों में हमारी छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। इस विपरीत परिस्थिति में भी मां सहनशीलता की प्रतीक थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह अगले कुछ दिनों तक इस पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!
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