Hindi Diwas 2023: आखिर क्यों 14 सितंबर को ही मानते है हिंदी दिवस, पढ़िए पूरी जानकारी  

 
Hindi Diwas 2023: आखिर क्यों 14 अगस्त को ही मानते है हिंदी दिवस, पढ़िए पूरी जानकारी

Hindi Diwas 2023: हिंदी केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है हिंदी और दूसरी है। अंग्रेजी वहीं भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है आपको बता दे कि ऐसा कहा जाता है, कि हजारी प्रसाद द्विवेदी काका कालेकर, मैथिली शरण गुप्त, और सेठ गोविंद दास के साथ-साथ बेहार राजेंद्र सिम्हा के प्रयासों के कारण हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। इसके साथ ही यह बेहार राजेंद्र सिम्हा के 50 में जन्मदिन पर हुआ था उनका जन्म 14 सितंबर 1916 को हुआ था उन्होंने भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि का चित्रण किया था हर साल 14 सितंबर को इसीलिए हिंदी दिवस मनाया जाता है लिए आपको इसके पूरी जानकारी देते हैं। 

14 सितंबर की खासियत

आपको बता दे की हिंदी दिवस का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों तक जाता है, इसके साथ ही 1918 में हिंदी विद्वानों और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन का गठन भी किया। साथ ही सम्मेलन में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपने में प्रमुख भूमिका भी निभाई, बता दे कि भारत में सैकड़ो भाषण और बोलियां बोली जाती है। इसके साथ ही 6 सितंबर 1946 में आजाद भारत के लिए संविधान का गठन हुआ था । 

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बता संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी आज़ाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ, इसके साथ ही भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी यह मुद्दत काफी ज्यादा अहम था, काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया संविधान भाषा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रेजियों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार भी किया था। बता दे की 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया की हिंदी ही भारत की राज्य भाषा होगी और पहले हिंदी दिवस 1993 में मनाया गया था। 

हिंदी दिवस का क्या है महत्व

बता दे की हिंदी दिवस का उद्देश्य भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उसे घटना को याद करना है, जब इसे भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था। इस महात्मा गांधी ने जनमानस की भाषा भी कहा था इसके साथ ही आपको बता दें कि चीनी न्यूज़ एजेंसी सिनेमा की एक रिपोर्ट के अनुसार, 70% चीनी ही मंडारिन बोलते हैं जबकि भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 68% दुनिया में 64 करोड लोगों की मातृभाषा हिंदी है जबकि 20 करोड लोगों की दूसरी भाषा और 44 करोड लोगों की तीसरी चौथी या पांचवी भाषा हिंदी है। 

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