पिछले 7 सालों में कॉंग्रेस कैसे गयी खाई में?
चुल्लू भर सत्ता और उसमें भी हिस्सेदारी के लोभ में राजनैतिक गुटबाजों ने देश में कांग्रेस का पूर्णतः सर्वनाश कर दिया है। खासकर जातिगत नेताओं के आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने संगठन को खोखला कर दिया है।
जमीनी स्तर पर संगठन इतना बर्बाद हो चूका है कि जिला, प्रखंड और बूथ स्तर पर राज्य स्तरीय या छोटे-छोटे पार्टी के कार्यकर्ताओं के सहारे काम चलाया जाता है। सदाकत आश्रम में अध्यक्ष, महासचिव और कार्यकारी अध्यक्ष का ओहदा देकर ऐसे लोगों को बैठाया गया है जो अपने गृह बूथ पर पार्टी को लीड तक नहीं दिलवा सकते है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के नाम पर एक ही जिले के कई नेताओं को संगठन के बड़े पदों पर बैठा दिया जाता है। और अंत में नेता कमजोर है कहकर सब पल्ला झाड़ लेते है।
कांग्रेस के इतने कमजोर होने की वजह क्या है?
•दो महत्वपूर्ण सीटों पर गांधी परिवार का उम्मीदवार होना-
पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर जहां राहुल गांधी को देखा जा रहा है वही अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी को। कांग्रेस के अध्यक्ष पद या प्रधानमंत्री के उम्मीदवार पर किसी गैर गांधी परिवार को बैठाया जाता तो कांग्रेस इतना कमजोर नहीं होता।
•धर्म की राजनीति को धर्म की राजनीति ही तोड़ सकती हैं। इसलिए पिछले चुनाव में राहुल गांधी को अपना जनेऊ देखना पड़ा। लेकिन यह होते होते वक्त बहुत ज्यादा लग गया।
•कांग्रेस को पहले ब्राह्मण मुस्लिम और दलित का पूर्ण समर्थन था। आज भी कांग्रेस अपने इस समीकरण को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर इन जाति के जातिगत समीकरण वाले नेताओं को बढ़ावा देती है। जिसका घटा हमेशा कांग्रेस को देखने को मिलता है। हालांकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस ने अपने इस समीकरण को तोड़ा है।