वास्तु शास्त्र के अनुसार एक आदर्श घर कैसे बनाया जाए
वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन किसी कार्य के विकास, इमारतों और आसपास के वातावरण को सकारात्मकता प्रदान करने के लिए किया जाता है. यह बहुत पुरानी परंपरा है. वास्तुशास्त्र की अहमियत प्राचीन काल से ही है. वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने से परिवार सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है. वास्तु बताता है कि किस दिशा में क्या वस्तु होनी चाहिए अर्थात बैडरूम, किचन, शौचालय आदि किस दिशा में बनाना ठीक रहेगा. आइए जानते हैं कि घर में किन चीजों को किस जगह बनवाना या रखना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा
यह सूर्योदय की दिशा होती है. इससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती हैं. इस दिशा में मेनगेट या खिड़की रखना बहुत अच्छा होता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा में रसोईघर और शौचालय बना सकते हैं, लेकिन याद रहे किचन और शौचालय पास में ना हो. उससे नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा
यह दिशा खिड़की व दरवाजे के लिए उत्तम मानी गई है. बालकनी और वाशबेसिन भी बनवा सकते हैं.
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा
इस दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए. दक्षिण दिशा में भारी सामान रखना अच्छा माना जाता है. तथा इस दिशा में मेनगेट गेट होने पर नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा
इसे अग्नि कोण कहा जाता है. इस दिशा में अग्नि तत्व विराजमान रहते हैं. किचन बनवाना, गैस, बॉयलर, ट्रांसफार्मर आदि रखना अच्छा माना जाता है.
दक्षिण-पश्चिम दिशा
दक्षिण-पश्चिम दिशा नैत्रऋत्य दिशा कहलाती है. इस दिशा में खुलापन जैसे खिड़की, दरवाजे नहीं होने चाहिए. घर के मुख्य सदस्य का कमरा इस दिशा में शुभ माना जाता है. इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे मशीन आदि इस दिशा में रख सकते हैं.
घर का आंगन
ऐसा माना जाता है कि घर में आंगन नहीं है तो वह घर अधूरा ही होता है. घर में आंगन छोटा हो या बड़ा लेकिन होना चाहिए. घर के आंगन में तुलसी, अनार, आंवला आदि के अलावा फूलदार पौधे भी लगा सकते हैं. इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
यदि आप वास्तु के अनुसार दिशाओं का उपयोग करते हैं तो आपका परिवार एक आदर्श परिवार कहलाएगा. घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली बरकरार रहेगी.
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