मोदी सरकार के 7 साल में इतने लोगों ने छोड़ी भारतीय नागरिकता, संसद में दी जानकारी
अंतरराष्ट्रीय सर्वे में भारत को रहने के हिसाब से दुनिया के बेहतरीन देशों में गिना गया है, क्योंकि भारत के लोग वसुधैव कुटुम्बकम् (पूरी दुनिया एक परिवार हैं) में विश्वास रखते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले 7 सालों में साढ़े आठ लाख से ज्यादा लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में दी। इस समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा हैं|
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय द्वारा प्राप्त डाटा के अनुसार, 30 सितंबर 2021 तक 8,81,254 नागरिकों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इससे पहले 1 दिसंबर को संसद में कहा था कि पिछले 7 सालों में 20 सितंबर तक 6,08,162 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी थी।इसमें से 1,11,287 नागरिकों ने इसी साल 20 सितंबर तक अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग किया हैं।
2016 से 2020 के बीच तकरीबन 10 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत की नागरिकता को ग्रहण किया हैं। नित्यानंद राय ने कहा था कि 2016 से 2020 के बीच 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया था। इनमें ज्यादातर पाकिस्तान से 7,782 और अफगानिस्तान से 795 नागरिक शामिल थे। वहीं वर्तमान में करीब 1 करोड़ भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं।
नागरिकता से जुड़ा यह डाटा उस वक्त आया हैं। जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की है कि देशव्यापी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया हैं। लेकिन गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं की NRC आ कर रहेगा। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे सभी लोग जो नागरिकता कानून संशोधन अधिनियम के दायरे में आते हैं| वे लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून 10 जनवरी 2020 से अस्तित्व में आ गया हैं। आपको बताते चले कि सीएए और एनआरसी को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे। जिसमें की NRC अभी तक आया नहीं हैं, विरोध प्रदर्शन के चलते फरवरी 2020 में दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगे हो गए थे। दरअसल नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चिचन लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान हैं।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया था। लेकिन अगर इतिहास के पन्ने खंगाले जाए तो महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल से लेकर वर्तमान में मनमोहन सिंह, अशोक गहलोत तक सभी लोगों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के हक में थे।
यह भी पढ़े: अमित शाह के नम्बर को स्पूफ करके करता था जैकलीन से बात, ED का खुलासा
यह भी देखें: