Indian-Canadians: संबंधों में तनाव, खालिस्तानी नेटवर्क और पहले सिख का इतिहास
Indian-Canadians: बीच हाल के दिनों में तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण कनाडाई सरकार का 'खालिस्तानी प्रेम' माना जा रहा है। इस विवाद के बीच, खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा की और कनाडा सरकार को चेतावनी दी।
खालिस्तानी समर्थकों का हमला
रविवार को ब्रैम्पटन में खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी झंडे लेकर हिंदू मंदिर पहुंचे और श्रद्धालुओं के साथ मारपीट की। मंदिर के बाहर लोगों पर लात-घूंसे बरसाए गए और डंडे चलाए गए, जिसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसी तरह की एक और घटना ब्रिटिश कोलंबिया में लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी हुई, जहां महिलाओं और बच्चों को भी पीटा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे कायराना कृत्य करार दिया और कनाडा सरकार से दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की।
भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
यह घटनाएँ भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव का संकेत हैं। कनाडा में भारतीयों की बड़ी संख्या है, जिसमें 18 लाख भारतवंशी नागरिक और 10 लाख भारतीय निवासी शामिल हैं। इसके अलावा, कनाडा में 2.3 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इस तनाव का सीधा असर वहां रह रहे भारतीयों पर पड़ सकता है, और इससे कनाडा को भी आर्थिक नुकसान हो सकता है, क्योंकि वह भारतीय छात्रों से लाभान्वित होता है।
खालिस्तानी नेटवर्क का फैलाव
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव के पीछे खालिस्तानी नेटवर्क का बढ़ता प्रभाव भी एक प्रमुख कारण है। कनाडा में सिखों की संख्या 2.1% है, और यह देश सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 127 साल पहले पहले सिख केसूर सिंह कनाडा पहुंचे थे, जिसके बाद से सिखों का वहां आना जारी रहा। सिखों के प्रवास के कारण कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियाँ फैलती गई हैं।
भारतीय कंपनियों का कनाडा में कारोबार
कनाडा की 600 से अधिक कंपनियाँ भारत में कार्यरत हैं, और 1000 से ज्यादा कंपनियाँ भारत के साथ सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं। भारतीय कंपनियाँ भी आईटी, सॉफ्टवेयर, स्टील, प्राकृतिक संसाधनों और बैंकिंग क्षेत्र में कनाडा में सक्रिय हैं।