India-China face-off: चीन का अरुणाचल प्रदेश में क्या है सीमा विवाद? जानें पूरी कहानी
India-China face-off: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर से सटे बॉर्डर पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. सोची समझी साजिश के तहत 300 चीनी सैनिक यांगत्से इलाके में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे. चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया.इसके बाद चीनी सैनिक भाग खड़े हुए.
ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन ने चीन ने इस तरह की हिमाकत की हो. एक साल पहले दिसंबर 2021 में भी चीन ने अरुणाचल के 15 इलाकों के नाम बदल दिए थे. अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना की चीनी सैनिकों से झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बैठक बुलाई है. आइये जानते हैं अरुणाचल प्रदेश के तवांग में क्या है सीमा विवाद?
India-China face-off के पीछे जानिए पूरी कहानी
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर अपना दावा पेश करता रहा है. चीन ने पिछले साल ही अरुणाचल प्रदेश के 15 इलाकों के नाम बदल दिए थे. भारत सरकार ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा.
अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद रहा है. भारत की चीन के साथ लगभग 3500 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. इसे वास्तविक नियंत्रण यानी एलएसी कहा जाता है. अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत बताते हुए इसे अपनी जमीन होने का दावा करता है. तिब्बत को भी चीन ने 1950 में हमला कर अपने में मिला लिया था.
तीन सेक्टर्स में बंटा है सीमा समझौता
चीन के साथ सीमा साझाकरण को तीन सेक्टर्स में बांटा गया है. पहला- पूर्वी, दूसरा- मध्य और तीसरा- पश्चिमी. अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम ईस्टर्न यानी पूर्वी सेक्टर में सीमा साझा करता है. इसकी लंबाई 1346 किमी है. उत्तराखंड और हिमाचल मिडिल सेक्टर में तो लद्दाख पश्चिमी सेक्टर में चीन के साथ सीमा साझा करता है.
उसके बाद 1914 में शिमला समझौते के तहत तिब्बत, चीन और ब्रिटिश अधिकारियों के साथ बैठक में सीमा निर्धारण करने का फैसला किया गया. शिमला समझौते में भी चीन ने हर बार की तरह तिब्बत को स्वतंत्र देश नहीं माना. वहीं कमजोर राष्ट्र देखते हुए ब्रिटिश अंग्रेजों ने दक्षिणी तिब्बत और तवांग को भारत में मिलाने का फैसला किया.
दक्षिणी तिब्बत और तवांग को भारत में मिलाये जाने से नाराज चीन ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था. हालांकि वहां के नागरिकों ने इसे स्वीकार कर लिया. बाद में चीन ने 1950 में तिब्बत पर हमला बोलकर अपने में मिला लिया. चूंकि तिब्बत में बौद्ध धर्मों को मानने वाले अधिक थे. इसलिए चीन चाहता था कि बौद्धों के नज़र से महत्वपूर्ण स्थल तवांग पर उसका अधिकार रहे. इसलिए चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताता है.
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