भारत ने बनाया दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफिल्ड, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज न्योमा एयरफिल्ड का करेंगे उद्घाटन

 
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Line of Actual Control: भारत और चीन के बीच विवाद थमा नहीं है। चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत सरकार सीमा क्षेत्र में आधारभूत संरचना विकसित करने पर काम कर रही है। इसी क्रम में भारत ने लद्दाख के न्योमा में एयरफिल्ड (बनाया है। यह चीन से लगी LAC से मात्र 46 किलोमीटर दूर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज न्योमा एयरफिल्ड का उद्घाटन करेंगे। इससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी। यहां से विमान उड़ान भरते हैं तो चीन पर हमला करने में चंद सेकंड लगेंगे। इसके साथ ही इस एयरफिल्ड का इस्तेमाल देश की रक्षा के लिए भी होगा।


218 करोड़ रुपए की लागत से बना है न्योमा एयरफिल्ड

बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने इस एयरफिल्ड को 218 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया है। यह भारत का अहम सामरिक ठिकाना है। यहां वायुसेना के लड़ाकू और मालवाहक विमान उतर पाएंगे। इससे सीमा पर जवानों की तेजी से तैनाती करने में मदद मिलेगी। मोर्चे पर गोला-बारूद पहुंचाना आसान होगा।

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इतनी ऊंचाई पर हैं न्योमा एयरफिल्ड

न्योमा एयरफिल्ड समुद्र की सतह से 13,710 फीट की ऊंचाई पर है। भारतीय वायुसेना इस जगह का इस्तेमाल 1962 से कर रही है। 1962 में इसे वायुसेना ने ALG (Advanced Landing Ground) की तरह किया था। अब एयरफिल्ड बन जाने से यहां विमानों को उतारा जा सकेगा। न्योमा एयरफिल्ड इलाके का सबसे ऊंचा स्थान है।2020 में चीन के साथ सीमा पर तनाव होने पर न्योमा ALG ने अहम रोल निभाया था। यहां चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टरों और सी-130जे विमानों की मदद से जवानों को लाया गया था। एयरफिल्ड बन जाने से अब यहां हर तरह के विमान उतर सकते हैं और टेकऑफ कर सकते हैं।

हमला और रक्षा दोनों में बेहद अहम साबित होगा न्योमा एयरफिल्ड

न्योमा एयरफिल्ड बेहद सामरिक महत्व का है। जंग की स्थिति में यहां से हमला और रक्षा दोनों तरह के काम किए जाएंगे। सीमा के बेहद करीब होने के चलते यहां हमला करने के लिए लड़ाकू विमानों को तैनात किया जा सकता है। दूसरी ओर हमला होने की स्थिति में रक्षा के लिए भी यह इस्तेमाल होगा। इस फ्रंट लाइन एयरफिल्ड पर इंटरसेप्टर विमानों को तैनात किया जा सकता है, जिनका काम हमला करने आ रहे लड़ाकू विमानों को रोकना होता है।


 

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