International Year of Millets 2023: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से विश्व में बढ़ेगा' श्री अन्न' का उपयोग, उत्पादन में होगी बढ़ोत्तरी

 
International Year of Millets 2023: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से विश्व में बढ़ेगा' श्री अन्न' का उपयोग, उत्पादन में होगी बढ़ोत्तरी

International Year Millets: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM ) घोषित किया और भारत पूरे विश्व में मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने वाले इस आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। वहीं श्री मोदी ने इनको 'श्री अन्न' की उपमा दी है। 2023 का चौथा माह बीत रहा है और 'श्री अन्न' को लोकप्रिय बनाने के लिए देश और प्रदेश की सरकारों ने प्रदर्शनी, टीवी शो, संसद, विधानसभाओं में भोज आयोजित किए हैं। 'बली' से लेकर 'खली' तक सभी 'श्री अन्न' के मुरीद हो गए हैं। आजादी के इस अमृतकाल में 'श्री अन्न' का हमारे देश की विशाल आबादी की आहार श्रृंखला में शामिल होने से 'खाद्य सुरक्षा' अभियान को भी मजबूती मिलेगी।

मोटे अनाजों में प्रमुख रूप से ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना आदि शामिल हैं। हरित क्रांति के दौर में गेहूं, चावल के उत्पादन ने बाजी मार ली, परन्तु बीते दशकों में भारत में बाजरा, ज्वार का रकबा बहुत कम हो गया था। खाद खाऊ- पानी पियूं फसलों के आकर्षण में किसान फंस चुका था। मोटे अनाज की घटती कीमतें, खेती की बढ़ती लागत और उसके ऊपर आबादी के एक बड़े भाग का इन अनाजों को अपनी थाली से बाहर करना, ऐसे अनेक कारण रहे, जिससे मिलेट्स का रकबा घटा।

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किसानों को प्रोत्साहन देना होगा

'श्री अन्न' या मोटे अनाजों को जन-जन का आहार बनाने में जुटे देश को लक्ष्य प्राप्ति के लिए लंबा सफर तय करना होगा। किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उनकी 'बीज से बाजार तक' हेंड होल्डिंग करना होगी। ' श्री अन्न' उगाने वाले किसानों को उनकी फसल की लाभकारी कीमतें मिल सके और धान-गेहूं की तुलना में मुनाफा अधिक हो, तभी किसानों में इन फसलों को लगाने का रुझान बढ़ेगा। उत्पादन बढ़ेगा परन्तु बाजार की ताकतें प्रचुरता की स्थिति में दाम गिरा देगी। इसलिए सरकार को ' श्री अन्न' की समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित करना होगी, ताकि किसानों का झुकाव ' श्री अन्न' फसलों के लिए बना रहे।

विश्व में बढ़ेगा' श्री अन्न' का उपयोग

इन सारे प्रयासों से निश्चित रूप से 'श्री अन्न' का उपयोग देश के साथ शेष विश्व में भी बढ़ सकता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार श्री अन्न का निर्यात वर्ष 2021-22 में 6.4 करोड़ डॉलर का हुआ था। एपीडा ने वर्ष 2023-24 के लिए 'श्री अन्न' का निर्यात लक्ष्य 10 करोड़ डॉलर रखा है।सरकार, समाज, संगठन सब मिलकर 'श्री अन्न' को एक मिशन के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करेंगे तो निश्चित ही खाद्य सुरक्षा पर संकट दूर- दूर तक नहीं होगा और ' श्री अन्न'का खोया हुआ वैभव लौटेगा और प्रत्येक के भोजन की थाली में सम्मानित भी रहेगा।


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