ईरान-इज़राइल युद्ध से यूपी के कारोबार पर संकट, कानपुर के 400 करोड़ के निर्यात ऑर्डर अटके

कानपुर: दुनिया में जब भी कहीं युद्ध छिड़ता है, उसका प्रभाव केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वैश्विक व्यापार, खासकर आयात-निर्यात व्यवस्था पर गहरा असर डालता है। ताज़ा उदाहरण है ईरान-इज़राइल संघर्ष, जिसने उत्तर प्रदेश के व्यापारियों, विशेष रूप से कानपुर के निर्यातकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
400 करोड़ से अधिक के ऑर्डर प्रभावित
कानपुर से इज़राइल को हर साल लगभग 400 से 500 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पाद भेजे जाते हैं। इसमें लेदर प्रोडक्ट्स, सेफ्टी शूज़, कपड़ा, मशीनरी और सैडलरी जैसे उत्पाद शामिल हैं। लेकिन युद्ध के चलते कई ऑर्डर या तो अटक गए हैं या निरस्त हो चुके हैं।
कारोबारियों की चिंता बढ़ी
चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी के अनुसार, मौजूदा हालात सैडलरी और लेदर उत्पादों के व्यापारियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। खासकर वे ऑर्डर जिनकी डिलीवरी युद्ध क्षेत्र में करनी थी, अब रोक दिए गए हैं।
अन्य देशों से भी व्यापार प्रभावित
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि ईरान-इज़राइल तनाव का असर सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं है। इसके चलते बहरीन, कतर, ओमान, जॉर्डन और कुवैत जैसे अन्य देशों से भी व्यापार बाधित हुआ है।
बासमती चावल का निर्यात भी रुका
यूपी से ईरान को बासमती चावल का निर्यात लंबे समय से होता रहा है। फिलहाल यह भी प्रभावित हुआ है। श्रीवास्तव के अनुसार, ईरान के उपभोक्ताओं को यूपी का बासमती चावल काफी पसंद है, लेकिन मौजूदा हालात में उसका व्यापार भी ठप हो गया है।
15 दिन का इंतजार जरूरी
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील वैश्य का मानना है कि ऐसे समय में जब ऑर्डर ट्रांजिट में अटक जाएं, तो व्यवसायियों को कम से कम 15 दिन तक इंतजार करना चाहिए। युद्धविराम के बाद लगभग एक हफ्ते में हालात सामान्य होने लगते हैं और व्यापार फिर से शुरू हो सकता है।
व्यापार पर असर अस्थायी
चमड़ा निर्यात परिषद के चेयरमैन आर.के. जालान ने कहा कि युद्ध के बाद जब सीज़फायर होता है तो व्यापार दोबारा गति पकड़ता है। आमतौर पर 7 से 10 दिन में पुराने खरीदार दोबारा ऑर्डर देने लगते हैं।