Jagannath Rath Yatra 2025: 27 जून से शुरू होगी पुण्यदायी यात्रा, जानें महत्व और मान्यता

पुरी (ओडिशा): श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 इस बार 27 जून से शुरू होकर 5 जुलाई को सम्पन्न होगी। आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर साल की तरह भगवान श्रीजगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।
यह भव्य यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी है। मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने से जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा जो जुड़ी है रथ यात्रा से
पुराणों के अनुसार, द्वारिका में रहते हुए भगवान श्रीकृष्ण को ब्रज की याद सताती थी। उनकी रानियों को जब यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने श्रीकृष्ण की मां रोहिणी से ब्रज की लीलाएं सुनने की इच्छा जताई। रोहिणी माता ने सुभद्रा को दरवाजे पर ध्यान देने के लिए कहा, लेकिन कथा में इतनी तल्लीनता हो गई कि सुभद्रा भी वहीं रुक गईं।
उसी दौरान श्रीकृष्ण और बलराम भी वहां आ पहुंचे और तीनों ने उस दिव्य कथा का रस लिया। प्रेम में भावविभोर होकर उनके शरीर में विशेष लक्षण प्रकट हुए – आंखों का फैलना, हाथ-पैर का शरीर में समा जाना आदि। देवर्षि नारद ने यह रूप देखकर प्रार्थना की कि यही रूप धरती पर सदा के लिए प्रकट हो। भगवान ने यह वरदान स्वीकार किया और तभी से पुरी में श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा इसी दिव्य स्वरूप में पूजित हैं।
रथ यात्रा से पहले स्नान यात्रा
रथ यात्रा से पूर्व भगवान का भव्य स्नानोत्सव होता है, जिसमें 108 कलशों से उनका अभिषेक किया जाता है। इसके बाद भगवान 'अनवसर काल' में एकांत में चले जाते हैं और फिर रथ यात्रा का शुभारंभ होता है।
आध्यात्मिक संदेश
श्रीजगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव है जो आत्मा को शुद्ध करता है। यह यात्रा भक्ति, सेवा और प्रेम के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचने की सीख देती है।