अखिलेश यादव की साइकल पर सवार हुए जयंत चौधरी, RLD का कोर वोटर हुआ नाराज
उत्तरप्रदेश अब अपने चुनावी मोड़ में पहुँच चुका हैं, प्रदेश की हवाओं में अब राजनैतिक सुगंध आ रही हैं। इसका शंखनाद मेरठ की जमीन से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ रैली कर चुनावी तीर कमान से निकाल दिया हैं। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मंगलवार को औपचारिक रूप से गठबंधन का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो पहला काम किसानों आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के लिए एक “शहीद” स्मारक बनाएंगे।
गठबंधन के बारे में बात करते हुए जयंत चौधरी ने कहा- “अखिलेश जी और मैं साथ हैं, और मैं इस संबंध में एक घोषणा कर रहा हूं। हमारी सरकार पहला काम उन शहीद किसानों के लिए चौधरी चरण सिंह की भूमि पर एक स्मारक का निर्माण करेगी, जो किसान आंदोलन के दौरान मारे गए हैं। रालोद नेता ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे बाबाजी की बात औरंगजेब से शुरू होती है और कैराना पलायन के साथ समाप्त हो जाती है। हालाँकि मेरठ को जाट बहुल इलाका कहा जाता हैं, और सूत्रो के अनुसार आरएलडी के कोर वोटर्स (जाट किसान) वो जयंत के इस फैसले से नाखुश हैं।
दरअसल साल 2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे।उस समय सूबे के मुख्यमंत्री सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव थे। पश्चिमी उत्तरप्रदेश के लोगों का कहना था की इस दंगे को अखिलेश यादव रोक सकते थे।परंतु एक समुदाय विशेष का वोट बैंक खिसक जाने के डर से अखिलेश यादव ने इन इलाको के हिंदुओं का संरक्षण नहीं किया, उल्टा अपराधियों पर मुक़दमे दायर ही नहीं होने दिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वोटर्स का कहना हैं की सपा नेता अबु आज़मी ने हिंदुओं के खिलाफ गलत बयानबाज़ी की हैं। जिसके बाद अखिलेश यादव ने अबु आज़मी पर कोई कार्यवाही नहीं करी, जिस वजह से यहाँ के लोग आरएलडी अध्यक्ष के इस गठबंधन से नाराज हैं।
मेरठ में आयोजित संयुक्त रैली में जयंत चौधरी ने आगे कहा- बाबाजी बहुत तेजी से क्रोधित हो जाते हैं। आपने उन्हें कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा है। वह तभी मुस्कुराते हैं जब वह बछड़े के साथ होते हैं। मैं आप लोगों से उन्हें मुक्त करने के लिए कहता हूं, ताकि वह 24 घंटे बछड़ों के साथ खेल सकें। वह सरकारी फाइलों को संभाल नहीं सकते।” पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मेरठ में आयोजित इस रैली को संबोधित करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बदलाव की शुरुआत आज से हो गई है।
अखिलेश यादव ने कहा- ‘‘उत्साह बता रहा है कि 2022 में बदलाव होगा। इस बार पश्चिम में भाजपा का सूरज नहीं उगेगा। यहां के किसानों और युवाओं ने मिलकर भाजपा को भगाने का फैसला लिया कर लिया है।’’सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगे कहा कि वो चाहते हैं कि किसानों को उनका हक मिले और एमएसपी पर ठोस फैसला हो। लेकिन भाजपा किसानों के हक में फैसला नहीं करना चाहती है।
आपको बताते चले कि पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन परिणाम सही नहीं रहा और उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। शायद इसीलिए इस बार अखिलेश बड़े दलों को छोड़ छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं। इसमें सुभसपा, महान दल और अब रालोद समेत कई पार्टियों के नाम शामिल हैं।
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