सुप्रीम कोर्ट के 'दिल्ली का गला घोंटने' वाले बयान पर किसान महापंचायत ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से बनाई दूरी
किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों को जाम करने वाले किसानों के समूह से दूरी बना ली है। हलफनामे में संगठन ने कहा कि 'किसान महापंचायत न तो प्रदर्शनकारियों का हिस्सा है और न ही याचिकाकर्ता किसान संगठन के सदस्य किसी ऐसी गतिविधि में शामिल हैं जिससे सड़क पर कोई अस्थायी या स्थायी नाकाबंदी हो।
हलफनामे में कहा गया है कि किसान संगठन 26 जनवरी, 2021 के बाद अन्य विरोध संगठनों से अलग हो गया, जिसमें 'विरोध के तरीके' पर असहमति का हवाला दिया गया था।
पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने कहा था कि 'किसानों ने सीमा को अवरुद्ध करके दिल्ली का गला घोंट दिया था'। अदालत ने कहा था कि अगर किसानों को शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार है, तो दिल्ली के नागरिकों को भी स्वतंत्र आंदोलन का अधिकार है। महापंचायत ने अदालत से कहा था कि यह उस विरोध का हिस्सा नहीं था जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों को बंद कर दिया गया था। इसके जवाब में शीर्ष अदालत ने कहा कि संगठन को एक हलफनामे में अपने दावे पेश करने चाहिए।
राकेश टिकैत को लोगों की हो रही परेशानियों की परवाह नहीं
पिछले हफ्ते, किसान संघों ने कानूनों के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था। किसान विरोध और भारत बंद के कारण आम नागरिकों को हुई असुविधा पर एक सवाल के जवाब में, भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि यह ठीक है अगर जनता को एक दिन के लिए असुविधा का अनुभव होता है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकारी पक्ष की दलील
मामले में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जब तक वैधता तय नहीं हो जाती विरोध प्रदर्शन जारी नहीं रह सकता। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी की घटना का सुप्रीम कोर्ट में जिक्र किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा इस आंदोलन से लखीमपुर खीरी में क्या हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित किसान महापंचायत को अपने पास स्थानांतरित किया है और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
'किसान महापंचायत' के वकील ने अदालत में दी सफाई
जब किसानों की ओर से पेश वकील ने कहा कि कि हाईवे उन्होंने बंद नहीं किया है, पुलिस ने बंद किया है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हलफनामा दायर करें कि आपने ब्लॉक नहीं किया है। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
सिस्टम में रखिए भरोसा
इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसान महापंचायत को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ी फटकार लगाई है और साथ में कई टिप्पणीयां भी की हैं, 3 दिन पहले ही कोर्ट ने किसान प्रदर्शन को लोगों की परेशानी की वजह बताया था जिसके बाद से संगठन खुद को पाक साफ साबित करने की कसर में लगे हुए हैं।
जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि जब किसान संगठन ने पहले ही विवादित कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है तो 'सत्याग्रह' करने का क्या तुक है? क्या आप ज्युडिशियल सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं? सिस्टम में भरोसा रखिए।
किसान महापंचायत ने दी सफाई
इस मसले पर अब अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। किसान महापंचायत का कहना है कि वो दिल्ली की सीमाओं पर पर बैठे किसानों संगठनों से अलग है। 26 जनवरी की घटना के बाद इन्होंने अपनेआप को उन संगठनों से अलग कर लिया था।
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