Kishtwar Encounter: आतंकवाद ने एक परिवार से बेटा छीन लिया, प्राकृतिक आपदा ने पहले घर छीन लिया
Kishtwar Encounter: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने हजारों घरों को नुकसान पहुंचाया, जिसमें नायब सूबेदार राकेश कुमार का घर भी शामिल था। प्राकृतिक आपदा ने पहले ही राकेश कुमार के परिवार को घर से वंचित कर दिया था, और फिर कुछ महीने बाद, आतंकवाद ने उनके बेटे की शहादत का दर्द दिया। किश्तवाड़ जिले में आतंकवादी मुठभेड़ में राकेश कुमार शहीद हो गए, जिससे उनकी 90 वर्षीय मां, भत्ती देवी का दिल टूट गया।
बेटे और सपने की दुखद हानि
राकेश कुमार, जो 42 वर्ष के थे, मंडी जिले के बरनोग गांव के रहने वाले थे। उनका 10 कमरों का घर 2023 की भारी बारिश में गिर गया था। हालांकि, राकेश कुमार ने दिसंबर 2024 में घर लौटने और नये घर का निर्माण शुरू करने का फैसला किया था। लेकिन दुख की बात यह थी कि वह घर बनाने से पहले ही किश्तवाड़ मुठभेड़ में शहीद हो गए।
राकेश कुमार अपने पीछे 90 वर्षीय मां भत्ती देवी, पत्नी भानुप्रिया, 12 वर्षीय बेटी यशस्वी ठाकुर और 7 वर्षीय बेटे प्रणव ठाकुर को छोड़ गए। शहादत की खबर से उनकी पत्नी बेसुध हैं और बच्चे इस शोक को समझ नहीं पा रहे हैं।
अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलियां
राकेश कुमार का पार्थिव शरीर किश्तवाड़ से हेलीकॉप्टर के माध्यम से मंडी लाया गया और नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखा गया। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा। राकेश कुमार का जन्म 28 जनवरी 1982 को हुआ था और वह भारतीय सेना में 23 साल पहले भर्ती हुए थे और पैरा कमांडो के तौर पर सेवा दे रहे थे।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शहीद राकेश कुमार की शहादत पर दुख व्यक्त किया और परिवार को सांत्वना दी। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने भी राकेश कुमार के बलिदान पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया।
मुख्य बिंदु
राकेश कुमार के परिवार ने 2023 में बाढ़ के कारण अपना घर खो दिया था और वह नए घर के निर्माण की योजना बना रहे थे।
किश्तवाड़ में शहादत ने उनकी 90 वर्षीय मां को टूटकर छोड़ दिया और परिवार शोक में डूबा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने राकेश कुमार के बलिदान को सम्मानित करते हुए श्रद्धांजलियां अर्पित की हैं।