कर्नाटक: जानें कौन है बसवराज बोम्मई, जो होंगे नए मुख्यमंत्री और येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी
भाजपा नेतृत्व ने कर्नाटक के अपने सबसे मजबूत नेता मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा (B. S. Yediyurappa) का उत्तराधिकारी बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) को चुना है. गौरतलब है बोम्मई भी येदियुरप्पा के ही लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो राज्य का सबसे प्रभावी समुदाय माना जाता है. बतादें, बसवराज बोम्मई आज 11 बजे शपथ ग्रहण समारोह में नए मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. जानकारी के अनुसार येदियुरप्पा ने ही 61 वर्षीय बसवराज के नाम का प्रस्ताव किया और धर्मेंद्र प्रधान ने उनके नाम की घोषणा की.
सूत्रों के मुताबिक बोम्मई के साथ तीन उपमुख्यमंत्री भी शपथ लेंगे. कर्नाटक में गोविंद कारजोल, आर अशोक और श्रीरामलु उप मुख्यमंत्री बनेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों नेता बुधवार शपथ ग्रहण करेंगे. बसवराज 2008 में जद (यू) से भाजपा में आए थे और तब से भाजपा की हर सरकार में मंत्री रहे हैं. भाजपा नेतृत्व अपने मजबूत समर्थक माने जाने वाले लिंगायत समुदाय से ही नेता चुनना चाहता था, हालांकि येदियुरप्पा इस मत के नहीं माने जा रहे थे. बता दें कि बसवराज कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री बनेंगे.
बसवराज बोम्मई का राजनीतिक सफ़र
बसवराज बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुबली में हुआ था. एसआर बोम्मई के पुत्र बसवराज कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हैं. उन्होंने भूमाराद्दी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से 1982 में बीई की डिग्री ली. बसवराज बोम्मई इस साल के शुरुआत में कर्नाटक के गृह मंत्री बनाए गए थे. वे कर्नाटक विधा्नसभा के 2004 से 2008 तक भी सदस्य रहे हैं.कर्नाटक के गृह मामले, कानून, संसदीय मामले के मंत्री रहे बोम्मई ने हावेरी और उडुपी के जिला प्रभारी मंत्री के रूप में भी कार्य किया. इससे पहले उन्होंने जल संसाधन और सहकारिता मंत्री के रूप में कार्य किया है.
टाटा समूह में की थी नौकरी
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के पुत्र बसवराज ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की है. बसवराज ने करियर की शुरुआत टाटा समूह से की थी. वह मैकेनिकल इंजीनियर होने के साथ ही पेशे से किसान और उद्यमी भी हैं. उन्होंने जनता दल से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वो 2008 में जनता दल से भाजपा में शामिल हुए थे. उनके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उसके बाद भाजपा पार्टी और सरकार में महत्वपूर्ण पदों को संभाल रहे हैं.
2023 के चुनाव में लिंगायतों से ही सत्ता का गणित साधने की कोशिश
कर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की भागीदारी करीब 17 फीसदी है. 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों पर 100 से ज्यादा सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है. ऐसे में भाजपा ने येदियुरप्पा के हटने के बाद लिंगायत समुदाय के ही किसी व्यक्ति को नया सीएम बनाकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता का गणित साधने की कोशिश की है.
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