इस नवराात्रि जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों के बारे में
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना तिथि के अनुसार की जाती है. नौ देवियों की पूजा अलग-अलग विधि-विधान से होती है. सभी देवियों का अपना अलग-अलग महत्व होता है. श्री दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय देवी के नौ अवतारों की कथा मिलती है.
स्वयं देवी द्वारा उच्चारण किये गए शब्दों में -
"यदा यदा दानवोत्था भविष्यति
तदा तदावतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम्"
अर्थात जब जब भी दैत्यों द्वारा उपद्रव उठेगा, तब तब मैं अवतार लेकर शत्रुओं का संहार करूंगी. भगवती ने इस कथन की पालना भिन्न-भिन्न दुष्कर समयों पर अवतार धारण करके तथा दुष्टों का नाश करके की है.
मां दुर्गा के नौ अवतार
शैलपुत्री: मां दुर्गा का पहला रूप माना जाता है. यह देवी पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी. इसीलिए इनका नाम शैलपुत्री रखा गया. इनकी उपासना से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्यक्ति निरोगी रहता है.
ब्रह्मचारिणी: श्री दुर्गा का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी कहलाता है. माता पार्वती ने भोले शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या - साधना की, तभी से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इनकी पूजा अर्चना करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम और आयु की वृद्धि होती है.
चंद्रघंटा: चंद्रघंटा मां दुर्गा की तीसरी शक्ति है. इनके मस्तक पर अर्धचंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनकी पूजा करने करने वाले को मनोवांछित इच्छा की प्राप्ति और सभी सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है. मनुष्य को उत्तम आनंद की अनुभूति होती है.
कुष्मांडा: मां दुर्गा की चौथी शक्ति कुष्मांडा मानी जाती है. उन्होंने अपनी मंद, मधुर हंसी के द्वारा ब्रह्मांड की उत्पत्ति की, इसीलिए इन्हें इन्हें कूष्मांडा कहते हैं. इनकी आराधना जो पूर्ण विधि-विधान से करता है. मां उसके समस्त रोग, शोक नष्ट कर देती हैं. उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर अग्रसर करती हैं.
स्कंदमाता: नवरात्रि में मां दुर्गा के अनेक रूपों की पूजा की जाती है. उन्ही में से स्कंदमाता मां दुर्गा की पांचवी शक्ति है. यह कुमार कार्तिकेय की मां होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. इनकी आराधना से स्वत: ही सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं.औरर शरीर स्वस्थ रहता है.
कात्यायनी: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है. ऋषि कात्यायन ने घोर तपस्या से मां दुर्गा को प्रसन्न किया. जिसके कारण मां ने कात्यान के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया. इसीलिए इनका नाम कात्यायनी रखा गया. इस दिन शहद का भोग लगाने से जातक की आकर्षण शक्ति में बढ़ोतरी होती है.
कालरात्रि: यह माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का विनाश करती है. इसीलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. इनकी पूजा नवरात्र के सातवें दिन की जाती है. इनकी आराधना से जातक को अचानक आने वाली परेशानियों और शोक से छुटकारा मिलता है.
महागौरी: मां दुर्गा के आठवें रूप में मां गौरी की उत्पत्ति हुई. इनका रंग साफ अर्थात गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा गया. मां को प्रसन्न करने पर व्यक्ति को प्रत्येक असंभव कार्य को संभव बनाने का आशीर्वाद मिलता है.नि: संतानों को संतान की प्राप्ति होती है.
सिद्धिदात्री: यह सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली माता है. इसीलिए इनका नाम सिद्धिदात्री रखा गया. इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. तथा मनुष्य को मृत्यु के डर से राहत मिलती है.
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