दुर्गा मां का जन्म कब और कैसे हुआ...जानिए
हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा का व्रत लगभग सभी भक्त रखते हैं. जिनमें दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा की इन शक्तियों की पूजा तो सभी करते हैं, लेकिन मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है. मां दुर्गा के जन्म से जुड़ी कथाएं पुराणों में बताई गई है. आइए जानते हैं दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई.
दुर्गा मां की उत्पत्ति कथा
पुराणों के अनुसार जब मानव ही नहीं बल्कि देवता भी असुरों के अत्याचार से परेशान हो गए थे. तब सभी देवतागण ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और इसका समाधान मांगा. तभी ब्रह्मा जी ने यह कहा कि दत्तराज का वध केवल एक कन्या के हाथों से ही हो सकता है. उसके बाद सभी देवताओं ने अपने तेज को एक जगह एकत्रित कर दिया. जिससे देवताओं की शक्ति से देवी का जन्म हुआ जैसे भगवान शिव के तेज से माता का मुख, विष्णु से भुजाएं, ब्रह्मा से दोनों चरण, यमराज से मस्तक और केस, चंद्रमा से स्तन, इंद्र से कमर, वरुण से जांघे, और सूर्य से दोनों हाथों की उंगलियां आदि. इसी प्रकार अलग-अलग देवताओं के तेज से देवी की उत्पत्ति हुई है.
देवी के अंश की उत्पत्ति हो जाने पर राक्षसों का वध करने के लिए उन्हें शक्तियों की भी आवश्यकता थी. इसीलिए देवी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र दुर्गा को सौंप दिए. भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, हिमालय पर्वत ने माता का वाहन सिंह, ब्रह्मा ने चारों वेद, लक्ष्मी ने कमल का फूल आदि शस्त्र दुर्गा को प्रदान किए. मां दुर्गा की 18 भुजाएं मानी जाती जाती है. जिनमें मां दुर्गा ने अस्त्र-शस्त्र धारण किए हैं. अस्त्र-शस्त्र और आंतरिक शक्ति की वजह से दुर्गा का रूप विराट हो गया है. जिसे देखकर ही राक्षसगण भयभीत होने लगे और राक्षसों पर विजय प्राप्त की.
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