लखीमपुर कांड: किसानों के सामने झुकी सरकार, क्या विपक्ष की राजनीति से उबर पाएगी योगी सरकार?

 
लखीमपुर कांड: किसानों के सामने झुकी सरकार, क्या विपक्ष की राजनीति से उबर पाएगी योगी सरकार?

लखीमपुर खीरी के तिकोनिया क्षेत्र में चार किसानों समेत 8 लोगों की मौत से देश हिल गया, वहीं किसान के आक्रोश और आंदोलन को नियंत्रित करने में आ रही चुनौती को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बयान ने आग में घी डालने का काम किया, उसके बाद से ही विपक्ष केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है।

3 अक्टूबर, रविवार की शाम यूपी के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत निश्चित ही एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, मगर नेताओ का किसी घटना में राजनीति ना करना इस देश में संभव नहीं है, लखीमपुर में घटी घटना के फौरन बाद विपक्ष ने इंतजार करने में वक्त जाया नहीं किया।

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कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गाँधी हो या सपा की तरफ से अखिलेश यादव सभी अपनी सहानुभूति और संवेदनाओं के साथ लाइट कैमरा एक्शन मोड में आ गए।

सिर्फ दिल्ली ही नहीं, छत्तीसगढ़ और पंजाब से भी नेता लखीमपुर के लिए निकल पड़े। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के विरोध में बने माहौल को लपकने के लिए कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

सियासी खेल में झाड़ू की एंट्री

पुलिस के रोकने पर नोकझोंक के वीडियो वायरल हुए, प्रियंका गांधी ने प्रशासन पर बदतमीजी करने का आरोप लगाया, इसके बाद अक्सर कैमरा से बचने वाले उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी मैदान में उतर गए।

प्रियंका गांधी ने हिरासत में विरोध के तौर पर झाड़ू लगाया, आप के संजय सिंह रोके गए, अखिलेश यादव को लखीमपुर जाने नहीं दिया गया तो वह लखनऊ में ही सड़क पर धरना और भाषण देने लगे। शिवपाल यादव घर में नजरबंद किए गए तो दीवार फांदकर भाग निकले। बाद में उन्‍हें हिरासत में ले लिया गया। हापुड़ में राष्‍ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी के समर्थकों ने टोल प्‍लाजा बैरियर तोड़ दिया। चौधरी दौड़ते हुए अपनी गाड़ी में सवार हुए और लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े। नेताओं की जल्दबाजी बता रही थी कि चुनाव से पहले विपक्ष इस चिंगारी को और भड़काना चाहता है।

दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में ही घटना की अपडेट ले रहे थे। हिंसक विरोध के बाद मामले को संभालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। उन्होंने 20 घंटे के भीतर कुछ इस तरह से हालात को संभाला कि विपक्ष की सारी सियासत धरी की धरी रह गई।

योगी की चाल से विपक्ष हुआ बेहाल

जो माहौल सुबह से गरमाया हुआ था दोपहर 1 बजे तक लगभग शांत होता नजर आया। किसान नेता राकेश टिकैत और प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार की साथ में प्रेस कॉफ्रेंस करते नजर आए क्योंकि सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों की सारी मांगें मान ली थी। इससे विपक्ष के लिए मुद्दे को गरमाने के सारे रास्ते बंद हो गए।

मामला ठंडा होना शायद विपक्षी पार्टियों को रास नहीं आया, असल में आने वाले विधानसभा चुनाव के मध्यनजर भाजपा के खिलाफ ऐसे मौके को लंबा खींचने से बाकी दलों को अपनी रोटियां सेंकने का अच्छा मौका मिल रहा था जिसे सरकार ने किसान संगठन के साथ मिलकर 24 घंटे के भीतर ही शांत करा दिया।

योगी ने टिकैत को बनाया संकटमोचक

लखीमपुर कांड: किसानों के सामने झुकी सरकार, क्या विपक्ष की राजनीति से उबर पाएगी योगी सरकार?

किसान नेता राकेश टिकैत के सहारे समझौता करा योगी ने विपक्ष के सारे वार फेल कर दिए। जब राकेश टिकैत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुद्दे को सम्भाला।

भाजपा की बड़ी मुश्किलें

टीवी चैनल्स पर भाजपा के प्रवक्ता शुरुआत में काफी डिफेंसीव नजर आए, लखीमपुर खीरी की घटना पर किसानों को उपद्रवी घोषित करने की कोशिश की गई और केंद्रीय मंत्री के बचाव में बयानबाजी चलती रही।

एक्शन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

रविवार को लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या ने बीजेपी के खिलाफ माहौल को और गरमा दिया था। विपक्ष चौतरफा योगी सरकार पर टूट पड़ा। हालात को संभालने के लिए प्रदेश के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए। रविवार देर रात तक वह लखीमपुर की घटना को लेकर अपने आवास पर सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन के बीच लखीमपुर कांड से भंवर में फंसी बीजेपी को योगी ने निकालने की पूरी कोशिश की और वह सफल रहे।

लखीमपुर कांड: किसानों के सामने झुकी सरकार, क्या विपक्ष की राजनीति से उबर पाएगी योगी सरकार?

विपक्ष के कई नेता रात में ही लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े थे, ऐसे में योगी अलर्ट मोड में थे। उन्होंने माहौल को बिगड़ने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए। सरकार को आशंका थी कि नेताओं के पहुंचने से इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। ऐसे में कांग्रेस, आप, सपा हो या बसपा सभी दलों के नेताओं को अलग-अलग जगहों पर हिरासत में लेने के निर्देश दे दिए गए। मीडिया में भले ही उनके तीखे बयान आए पर सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही। विरोध में प्रियंका गांधी ने हिरासत में अपने कमरे में झाड़ू भी लगाया।

लखीमपुर की घटना पर सीएम योगी लगातार अपडेट लेते रहे। लखीमपुर में इंटरनेट सेवा रोकने का आदेश भी जल्द ही जारी हो गया था। घटनास्थल तिकुनिया को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।

सरकार ने दिलाया सख्त कार्रवाई का भरोसा

सीएम योगी ने ट्वीट किया कि जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। यूपी सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी और घटना में शामिल लोगों को बेनकाब करेगी। दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी।

सरकार ने किया मामले को हैंडल

एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि सरकार ने किसानों की मांगें मान ली हैं। कल लखीमपुर खीरी में मारे गए चारों किसानों के परिवारों को 45 लाख रुपये और एक सरकारी नौकरी दी जाएगी। घायलों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाएगी और रिटायर्ड हाई कोर्ट जज मामले की जांच करेंगे।

नहीं गली विपक्ष की दाल

एडीजी के साथ टिकैत के बैठने से साफ हो गया था कि मामला सुलझ गया है। यह खबर मिलते ही जहां-जहां विपक्ष प्रदर्शन में जुटा था, कार्यकर्ता एक-एक कर बिखरने लगे। अखिलेश यादव ने भी लखीमपुर मामले को ठंडा पड़ता देख अपने विरोध के सुर का ट्रैक बदल लिया। किसानों की हितैषी बनतीं पार्टियाँ शायद मामले में कुछ नये अपडेट की तलाश में हैं।

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