Lakhimpur Kheri Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को जमानत दी, केस में देरी का हवाला

 
Lakhimpur Kheri Case

Lakhimpur Kheri Case: हिंसा मामले में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को 12 और आरोपियों को जमानत दी। अदालत ने इससे पहले मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत का हवाला दिया और कहा कि इन आरोपियों का नाम एफआईआर में नहीं है, इसलिए जमानत के लिए इनका मामला और भी मजबूत है।

लखीमपुर खीरी हिंसा का पृष्ठभूमि

लखीमपुर खीरी की यह घटना 2021 में उस समय हुई थी जब नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा से जुड़ी गाड़ियों ने कथित रूप से चार किसानों को कुचल दिया, जिससे हिंसा भड़क उठी और कुल आठ लोगों की जान चली गई, जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था। इस मामले ने तब से ही कानूनी और सार्वजनिक जांच का केंद्र बना हुआ है।

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जमानत देने का कोर्ट का तर्क

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल, जिन्होंने मामले की सुनवाई की, ने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया:

मुकदमे में देरी और गवाहों की गवाही: 114 गवाहों में से अब तक केवल सात ने ही गवाही दी है, और अदालत का मानना है कि मुकदमे को पूरा होने में लंबा समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आशीष मिश्रा को दी गई जमानत: कोर्ट ने यह देखा कि आशीष मिश्रा, जिनका नाम एफआईआर में था, को भी जमानत दी गई है, तो जिनका नाम एफआईआर में नहीं है, उनका मामला जमानत के लिए और भी उपयुक्त है।
अंतरिम जमानत का कोई दुरुपयोग नहीं: इन 12 आरोपियों को 2023 में अलग-अलग समय पर अंतरिम जमानत दी गई थी, और अदालत ने यह पुष्टि की कि इनका दुरुपयोग नहीं हुआ है।

किन आरोपियों को मिली जमानत?

जिन 12 व्यक्तियों को जमानत मिली है, उनमें अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ उर्फ काले, सत्य प्रकाश त्रिपाठी उर्फ सत्यम त्रिपाठी, शेखर भारती, धर्मेंद्र सिंह बंजारा, आशीष पांडे, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी उर्फ मोहित त्रिवेदी, लवकुश, सुमित जयसवाल और शिशुपाल शामिल हैं।

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मामले में क्रॉस-वर्जन विवाद

अदालत ने मामले में "क्रॉस-वर्जन" की स्थिति का भी उल्लेख किया, जिसमें आरोपी और कुछ गवाह दोनों ही एक-दूसरे पर हिंसा का आरोप लगा रहे हैं। आरोपियों में से एक, सुमित जयसवाल का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप हरिओम मिश्रा की मृत्यु हो गई। इस प्रकार के विरोधाभासी बयानों और गवाही की स्थिति ने मामले को और जटिल बना दिया है।

मुकदमे की समय सीमा और जमानत पर कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में गवाहों की गवाही अभी भी बाकी है और मुकदमा लंबा चल सकता है। आरोपियों द्वारा अंतरिम जमानत का दुरुपयोग न करने की पुष्टि के बाद कोर्ट ने उन्हें पूरी जमानत देने का निर्णय लिया।

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